फाइल फोटो
मुंबई:
मानसून की बेरुखी से परेशान महाराष्ट्र सरकार को पानी की राशनिंग करनी पड़ रही है। राज्य सरकार की मंगलवार को मुंबई में हुई कैबिनेट बैठक में इस बात को लेकर मंत्रियों के बीच जोरदार बहस हुई। इसके बावजूद मराठवाड़ा के हिस्से का पानी खेती के लिए छोड़ने पर पाबंदी लगाने का फैसला लिया गया। इस पानी को केवल पीने के लिए आरक्षित किया गया है।
महाराष्ट्र में पिछले साल के मुकाबले 14 फीसदी कम बरसात हुई है। इसकी सबसे अधिक मार मराठवाड़ा के 8 जिले झेल रहे हैं। इस इलाके को पानी मुहैया कराने वाले जायकवाड़ी बांध का जलस्तर 7 फीसदी तक गिरा चुका है। इसके चलते बांध का पानी केवल पीने के लिए आरक्षित रखने का ऐलान हुआ है।
महाराष्ट्र के सिंचाई मंत्री गिरीश महाजन ने संवाददाताओं को बताया कि 'बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति में यह फैसला लेना पड़ रहा है। जब आसमान से पानी बरस ही नहीं रहा तो हम पानी लाएं तो लाएं कहाँ से?' महाराष्ट्र में इस मानसून में 58 फीसदी बरसात हुई है। राज्य के जलाशयों में 48 फीसदी पानी बचा है और 93 फीसदी इलाके में बुआई पूरी हो चुकी है। लेकिन, मराठवाड़ा इलाके के आंकड़े निराशाजनक है।
पानी की किल्लत के मद्देनजर पुणे महानगर पालिका ने ऐलान किया है कि, स्वीमिंग पूल, कंस्ट्रक्शन और गाड़ियां धोने के लिए नल के पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाए। इन कामों के लिए बोरवेल से पानी लिया जाए।
महाराष्ट्र में पिछले साल के मुकाबले 14 फीसदी कम बरसात हुई है। इसकी सबसे अधिक मार मराठवाड़ा के 8 जिले झेल रहे हैं। इस इलाके को पानी मुहैया कराने वाले जायकवाड़ी बांध का जलस्तर 7 फीसदी तक गिरा चुका है। इसके चलते बांध का पानी केवल पीने के लिए आरक्षित रखने का ऐलान हुआ है।
महाराष्ट्र के सिंचाई मंत्री गिरीश महाजन ने संवाददाताओं को बताया कि 'बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति में यह फैसला लेना पड़ रहा है। जब आसमान से पानी बरस ही नहीं रहा तो हम पानी लाएं तो लाएं कहाँ से?' महाराष्ट्र में इस मानसून में 58 फीसदी बरसात हुई है। राज्य के जलाशयों में 48 फीसदी पानी बचा है और 93 फीसदी इलाके में बुआई पूरी हो चुकी है। लेकिन, मराठवाड़ा इलाके के आंकड़े निराशाजनक है।
पानी की किल्लत के मद्देनजर पुणे महानगर पालिका ने ऐलान किया है कि, स्वीमिंग पूल, कंस्ट्रक्शन और गाड़ियां धोने के लिए नल के पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाए। इन कामों के लिए बोरवेल से पानी लिया जाए।
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