
- AAP ने तीन विवादित विधेयकों पर विचार के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
- AAP का आरोप है कि इन विधेयकों का उद्देश्य विपक्षी सरकारों को गिराना और नेताओं को फर्जी मामलों में फंसाना है.
- तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी संयुक्त संसदीय समिति में सदस्य नामित करने से मना कर दिया है.
मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और प्रधानमंत्री को 30 दिन की गिरफ्तारी की स्थिति में पद से बर्खास्त करने वाले विधेयकों और संवैधानिक संशोधन पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में अब आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी शामिल होने से इनकार कर दिया है. इससे पहले TMC और SP ऐसा कर चुकी है. दरअसल आम आदमी पार्टी (AAP) ने घोषणा की है कि वह प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के 30 दिन तक हिरासत में रहने के बाद उन्हें पद से हटाने का प्रावधान करने वाले तीन विवादित विधेयकों पर विचार के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में शामिल नहीं होगी. आप ने आरोप लगाया कि इन विधेयकों का असली उद्देश्य विपक्षी सरकारों को गिराना है.
TMC और सपा ने भी पहले ही कर दिया है मना
इससे एक दिन पहले तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी JPC में अपने सदस्य नामित नहीं करने का फैसला किया था. इस बीच, राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने रविवार को कहा कि जेपीसी ‘‘बेमतलब'' है. उन्होंने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि कई दल सरकार के संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाने के हथकंडे की आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जेपीसी बेमतलब है.
संजय सिंह बोले- नेताओं को फर्जी केस में फंसाकर सरकार गिराना मकसद
‘आप' के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी ने जेपीसी में किसी भी सदस्य को नामित नहीं करने का फैसला किया है. संजय सिंह ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भ्रष्टाचारियों के सरदार भ्रष्टाचार के खिलाफ विधेयक कैसे ला सकते हैं? नेताओं को फर्जी मामले में फंसाना और जेल में डालना, सरकारों को गिराना इस विधेयक का उदेश्य है. इसीलिए अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने जेपीसी में शामिल न होने का फैसला लिया है.''
टीएमसी ने जेपीसी गठन को तमाशा बताया
शनिवार को, तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने की रूपरेखा तय करने वाले तीन विधेयकों पर विचार के लिए गठित जेपीसी को शनिवार को ‘‘तमाशा'' करार दिया था और कहा कि वह इसमें अपना कोई सदस्य नहीं भेजेगी. एक सूत्र ने बताया कि समाजवादी पार्टी द्वारा भी इस समिति में किसी सदस्य को नामित किए जाने की संभावना नहीं है.
केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 बुधवार को लोकसभा में पेश किए गए. इन्हें संसद की एक संयुक्त समिति को भेज दिया गया है.
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