प्रसिद्ध रंगकर्मी और फिल्म डायरेक्टर विजया मेहता को 'मेटा' लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित करेगा.
नई दिल्ली:
महिन्द्रा द्वारा आयोजित किए जाने वाले सालाना महिन्द्रा एक्सिलेंस इन थिएटर अवार्ड्स (मेटा) में ‘मेटा 2018’ का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रसिद्ध रंगकर्मी, अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक विजया मेहता को दिया जाएगा.
यह घोषणा मेटा 2018 के आयोजन की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई. विजया मेहता मराठी और हिंदी रंगमंच में एक साथ सक्रिय रही हैं. विजया मेहता ने नाटककार विजय तेंदुलकर और अभिनेता श्रीराम लागू के साथ मिलकर मुंबई में 'रंगायन' समूह की स्थापना की थी. रंगमंच का प्रशिक्षण उन्होंने दिल्ली में आदी मर्जबान और इब्राहिम अल्काज़ी से लिया था. ‘कलयुग’, ‘पार्टी’ आदि जैसी फिल्मों में अभिनय करने के साथ उन्होंने ‘पेस्तन जी’ जैसी चर्चित फ़िल्म का निर्देशन भी किया. उन्हें रंगमंच निर्देशन में उत्कृष्टता के लिए 1975 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है और ‘राव साहब’ (1986) फिल्म में उनके अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी दिया गया.
मेटा द्वारा उक्त अवार्ड से अब तक स्वर्गीय जोहरा सेहगल, स्वर्गीय बादल सरकार, स्वर्गीय खालिद चौधरी, इब्राहिम अल्काज़ी, गिरीश कर्नार्ड, स्वर्गीय हेसिनाम कन्हैयालाल, रतन थियाम और अरुण ककड़े को सम्मानित किया जा चुका है. मेटा में प्रस्तुत किए जाने वाले हिन्दी नाटक 'आइटम' का एक दृश्य.
गौरतलब है कि महिन्द्रा समूह अपने कल्चरल आउटरीच कार्यक्रम के तहत ‘महिन्द्रा एक्सिलेंस इन थिएटर अवार्ड्स’(मेटा) के नाम से पिछले 12 साल से देश भर से चुने गए नाटकों का उत्सव दिल्ली में आयोजित करता है. चुने गए नाटकों की प्रस्तुतियां होती हैं जिनमें 13 प्रतियोगी श्रणियों में- बेस्ट प्ले, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टेज डिज़ाइन, बेस्ट लाइट डिज़ाइन, बेस्ट इनोवेटिव साउंड डिज़ाइन, बेस्ट कॉस्ट्यूम डिज़ाइन, लीड रोल (पुरुष) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, लीड रोल (महिला) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष), सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (महिला), बेस्ट मूल स्क्रिप्ट, बेस्ट टोली और बेस्ट कोरियोग्राफर के पुरस्कार दिए जाते हैं. मेटा 2018 के लिए देश भर से 330 नाटकों के आवेदन आए थे जिनमें से अंग्रेजी, बांग्ला, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मणिपुरी, और असमी, भाषा के दस नाटकों का चयन हुआ.
दिल्ली में मंडी हाउस स्थित श्रीराम सेंटर, श्रीराम भारतीय कला केंद्र और कमानी सभागार में 13 अप्रैल से 18 अप्रैल के बीच इन नाटकों की प्रस्तुतियां होंगी. 19 अप्रैल को एक समारोह में पुरस्कारों की घोषणा होगी. इस साल ज्यूरी में प्रसिद्ध थिएटर निर्देशक और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व अध्यक्ष अमाल अल्लाना, थिएटर निर्देशक लीलेट दुबे, थिएटर निर्देशक और पंजाब विश्वविद्यालय में थिएटर के प्रोफेसर नीलम मान सिंह चौधरी, अभिनेता, थिएटर निर्देशक और लेखक रजत कपूर, थिएटर, फिल्म और टेलीविजन लेखक-निर्देशक रणजीत कपूर और और श्रीराम भारतीय कला केंद्र के निदेशक शोभा दीपक सिंह शामिल हैं.
मेटा 2018 का आगाज़ 13 अप्रैल को अभिषेक मजूमदार लिखित निर्देशित, इंडियन एनसेम्बल, बेंगलुरु की प्रस्तुति ‘मुक्तिधाम’ से होगा. 'मुक्तिधाम' अपनी दार्शनिक गहनता के साथ हमारे समय और स्पेस का बहुत सूक्ष्म रूपक है. प्रस्तुति हिंदू धर्म और आस्तिकों के अंतर्विरोधों पर अपना फोकस करती है जो धार्मिक तो हैं लेकिन कट्टरता से दूर हैं. प्रस्तुति का परिवेश पाल वंश के काल का है. फेस्टिवल का समापन 18 अप्रैल को फाज़ेहा जलील निर्देशित प्रस्तुति 'शिखंडी' से होगा. इसमें शिखंडी के मिथक के संदर्भ से एक ही शरीर में दो जेंडर की उपस्थिति और इनके कारण व्यक्ति के भीतर उपजे द्वंद्व को नए तरीके की नाट्य भाषा में आधुनिक नजरियों के साथ मिलाकर प्रस्तुत किया गया है. मेटा 2018 में ‘करुप्पु’ (नान वर्बल), ‘कंफर्ट विमन: एन अनटोल्ड हिस्ट्री’ (असमी), ‘हिगुइता: पेनाल्टी किक पर गोली की चिंता’,(मलयालम), ‘होजांग टरेट’ (मणिपुरी), ‘नोना’ (मलयालम), ‘कॉकेशियन चॉक सर्किल’(कन्नड़), ‘आइटम’ (हिंदी) और ‘मैमनसिंघ गीतिका’ (बांग्ला) की प्रस्तुतियां होंगी.
यह घोषणा मेटा 2018 के आयोजन की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई. विजया मेहता मराठी और हिंदी रंगमंच में एक साथ सक्रिय रही हैं. विजया मेहता ने नाटककार विजय तेंदुलकर और अभिनेता श्रीराम लागू के साथ मिलकर मुंबई में 'रंगायन' समूह की स्थापना की थी. रंगमंच का प्रशिक्षण उन्होंने दिल्ली में आदी मर्जबान और इब्राहिम अल्काज़ी से लिया था. ‘कलयुग’, ‘पार्टी’ आदि जैसी फिल्मों में अभिनय करने के साथ उन्होंने ‘पेस्तन जी’ जैसी चर्चित फ़िल्म का निर्देशन भी किया. उन्हें रंगमंच निर्देशन में उत्कृष्टता के लिए 1975 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है और ‘राव साहब’ (1986) फिल्म में उनके अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी दिया गया.
मेटा द्वारा उक्त अवार्ड से अब तक स्वर्गीय जोहरा सेहगल, स्वर्गीय बादल सरकार, स्वर्गीय खालिद चौधरी, इब्राहिम अल्काज़ी, गिरीश कर्नार्ड, स्वर्गीय हेसिनाम कन्हैयालाल, रतन थियाम और अरुण ककड़े को सम्मानित किया जा चुका है.
गौरतलब है कि महिन्द्रा समूह अपने कल्चरल आउटरीच कार्यक्रम के तहत ‘महिन्द्रा एक्सिलेंस इन थिएटर अवार्ड्स’(मेटा) के नाम से पिछले 12 साल से देश भर से चुने गए नाटकों का उत्सव दिल्ली में आयोजित करता है. चुने गए नाटकों की प्रस्तुतियां होती हैं जिनमें 13 प्रतियोगी श्रणियों में- बेस्ट प्ले, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट स्टेज डिज़ाइन, बेस्ट लाइट डिज़ाइन, बेस्ट इनोवेटिव साउंड डिज़ाइन, बेस्ट कॉस्ट्यूम डिज़ाइन, लीड रोल (पुरुष) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, लीड रोल (महिला) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष), सहायक भूमिका में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (महिला), बेस्ट मूल स्क्रिप्ट, बेस्ट टोली और बेस्ट कोरियोग्राफर के पुरस्कार दिए जाते हैं. मेटा 2018 के लिए देश भर से 330 नाटकों के आवेदन आए थे जिनमें से अंग्रेजी, बांग्ला, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, मणिपुरी, और असमी, भाषा के दस नाटकों का चयन हुआ.
दिल्ली में मंडी हाउस स्थित श्रीराम सेंटर, श्रीराम भारतीय कला केंद्र और कमानी सभागार में 13 अप्रैल से 18 अप्रैल के बीच इन नाटकों की प्रस्तुतियां होंगी. 19 अप्रैल को एक समारोह में पुरस्कारों की घोषणा होगी. इस साल ज्यूरी में प्रसिद्ध थिएटर निर्देशक और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के पूर्व अध्यक्ष अमाल अल्लाना, थिएटर निर्देशक लीलेट दुबे, थिएटर निर्देशक और पंजाब विश्वविद्यालय में थिएटर के प्रोफेसर नीलम मान सिंह चौधरी, अभिनेता, थिएटर निर्देशक और लेखक रजत कपूर, थिएटर, फिल्म और टेलीविजन लेखक-निर्देशक रणजीत कपूर और और श्रीराम भारतीय कला केंद्र के निदेशक शोभा दीपक सिंह शामिल हैं.
मेटा 2018 का आगाज़ 13 अप्रैल को अभिषेक मजूमदार लिखित निर्देशित, इंडियन एनसेम्बल, बेंगलुरु की प्रस्तुति ‘मुक्तिधाम’ से होगा. 'मुक्तिधाम' अपनी दार्शनिक गहनता के साथ हमारे समय और स्पेस का बहुत सूक्ष्म रूपक है. प्रस्तुति हिंदू धर्म और आस्तिकों के अंतर्विरोधों पर अपना फोकस करती है जो धार्मिक तो हैं लेकिन कट्टरता से दूर हैं. प्रस्तुति का परिवेश पाल वंश के काल का है. फेस्टिवल का समापन 18 अप्रैल को फाज़ेहा जलील निर्देशित प्रस्तुति 'शिखंडी' से होगा. इसमें शिखंडी के मिथक के संदर्भ से एक ही शरीर में दो जेंडर की उपस्थिति और इनके कारण व्यक्ति के भीतर उपजे द्वंद्व को नए तरीके की नाट्य भाषा में आधुनिक नजरियों के साथ मिलाकर प्रस्तुत किया गया है. मेटा 2018 में ‘करुप्पु’ (नान वर्बल), ‘कंफर्ट विमन: एन अनटोल्ड हिस्ट्री’ (असमी), ‘हिगुइता: पेनाल्टी किक पर गोली की चिंता’,(मलयालम), ‘होजांग टरेट’ (मणिपुरी), ‘नोना’ (मलयालम), ‘कॉकेशियन चॉक सर्किल’(कन्नड़), ‘आइटम’ (हिंदी) और ‘मैमनसिंघ गीतिका’ (बांग्ला) की प्रस्तुतियां होंगी.
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