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This Article is From Apr 05, 2015

मायावती ने साइकिल पर कसा तंज तो जवाब में बोले अखिलेश, 'साइकिल चलाएंगी तो फिट रहेंगी'

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और अखिलेश यादव साइकिल के लिए लड़ पड़े हैं। रविवार को लखनऊ में नेशनल साइकिलिंग चैंपियनशिप के मौके पर अखिलेश ने कहा कि एक वक्त था, जब मायावती हुकूमत में उन्हें सड़क पर साइकिल चलाने से रोक दिया गया था। इसके जवाब में मायावती बोलीं कि अखिलेश के पास फालतू टाइम है, इसलिए वह साइकिल चलाते हैं। फिर अखिलेश कहां चुप रहने वाले थे, उन्होंने भी कह दिया कि मायावती फुरसत में हैं, अगर साइकिल चलाएंगी तो फिट रहेंगी।

ये राष्ट्रीय साइकिलिंग चैंपियनशिप पहले बेंगलुरु में होनी थी, लेकिन साइकिलिंग के शौकीन अखिलेश यादव की सिफारिश पर लखनऊ को इसकी मेजबानी का मौका मिला। इस मौके पर उनका दर्द भी छलक आया कि मायावती सरकार के दौरान उन्हें साइकिल चलाने से रोक दिया गया था।

अखिलेश यादव ने कहा, "हम लोगों को हाईवे पर नहीं चढ़ने दे रहे थे। कह रहे थे कि हाईवे पर नहीं चढ़ पाओगे। उस समय याद होगा नौजवान साथियों मैंने कहा था, जिन साइकिल वालों को हाईवे पर चढ़ने नहीं दे रहे हो, एक समय ऐसा भी आएगा जब इस हाईवे का उद्घाटन साइकिल वाले ही करेंगे, और वो दिन आया।"

अखिलेश को साइकिल से इतना प्यार है कि वे हर साल पैतृक गांव सैफई में साइकिलिंग मैराथन कराते हैं। साइकिल उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह भी है, इसलिए तमाम आंदोलनों में भी उन्होंने साइकिल चलाई है। मायावती कहती हैं, "उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास काम तो कुछ है नहीं अब, तो साइकिल नहीं चलाएगा तो क्या चलाएगा। काम-धाम कुछ बचा नहीं है।"

उत्तर प्रदेश में अखिलेश के लिए साइकिल ट्रैक एमस्टर्डम के नामचीन ट्रैफिक इंजीनियर डिजाइन कर रहे हैं। अखिलेश ने ये आईडिया भी वहीं से लिया है, जहां आबादी 8 लाख से कम है और साइकिल 8 लाख से ज्यादा। वहां 900 किमी मोटर रोड हैं और 500 किमी साइकिल ट्रैक। अखिलेश बताते हैं कि उन्हें जिंदगी का पहला गिफ्ट भी साइकिल ही मिली थी। लखनऊ की जिन सड़कों पर अखिलेश ने साइकिल सीखी थी, अब वहां साइकिल ट्रैक हैं।

अखिलेश की सलाह है कि खाली वक्त में मायावती भी साइकिल चलाएं तो फिट रहेंगी। अखिलेश कहते हैं, "जनता ने मायावती को सत्ता से बाहर कर दिया और साइकिल तो स्वास्थ्य ठीक रखती है, जो साइकिल चलाएगा वो पर्यावरण बचाएगा। साथ में अपना स्वास्थ्य भी ठीक रखेगा।

खैर साइकिल पर सियासत चाहे जो हो और जितनी भी हो, लेकिन ये है तो अच्छी चीज। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि दोपहिया और चार पहिया गाड़ी वाले सड़क पर चलने का तहजीब सीखें, ताकि साइकिल चलाने वाले खैरियत से घर लौट सकें। इससे वो सोच भी बदल पाएगी, जिसमें साइकिल चलाने वाले को हमारे देश में नीची निगाह से देखा जाता है।

अमरजीत सिंह बने नेशनल साइकिलिंग चैंपियन
एक घंटे 41 मिनट साइकिल चलाकर पंजाब के अमरजीत सिंह इसके विजेता बने। इंडियन एयरफोर्स के मंजीत ने नेशनल साइकिलिंग में दूसरा स्थान हासिल किया। मुख्यमंत्री अखिलेश ने अमरजीत को एक लाख रुपये और मंजीत को 60 हजार रुपये नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

इस दौरान अखिलेश ने कहा कि साइकिल से फिटनेस रहती है। दुनियाभर में साइकिल चलाई जाती है, लेकिन इस पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता। उन्होंने कहा कि यहां साइकिल प्रतियोगिता हुई है। आगे भी ऐसी प्रतियोगिता करते रहेंगे। उन्होंने प्रतियोगिता में आने वाले नौजवानों का शुक्रिया अदा किया। झंडी दिखाकर रेस को रवाना किया।

यूपी सरकार और साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से नेशनल साइकिलिंग-2015 का आयोजन किया गया। यह प्रतियोगिता सुबह 6:30 बजे केडी सिंह बाबू स्टेडियम में शुरू हुई। अखिलेश यादव ने झंडी दिखाकर रेस को रवाना किया।

नेशनल साइकिलिंग के आयोजन का मुख्य उद्देश्य एकता, स्वास्थ्य और पर्यावरण है। इसमें देश के शीर्ष साइकिलिस्टों ने हिस्सा लिया। इसके साथ ही ग्रीन राइड का भी आयोजन किया गया। हालांकि इस पूरे आयोजन का दूसरा हिस्सा ये भी रहा कि नेशनल साइकिलिंग चैंपियनशिप बड़ी आपाधापी की भेंट चढ़ गई।

केडी सिंह बाबू स्टेडियम में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी तक तो सब ठीक था, लेकिन उनके जाते ही यहां सर्टिफिकेट पाने के लिए अफरातफरी की स्थिति बन गई। स्टेडियम के भीतर व बाहर सर्टिफिकेट लेने की होड़ में लोगों में जमकर छीना-झपटी हुई। ये सर्टिफिकेट मुख्य रेस के न होकर 'रन फॉर ऑल' के थे।

इनपुट : एजेंसियां

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