मायावती की मूर्ति (फाइल फोटो)
लखनऊ:
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अब अपने बुत लगाने से तौबा कर ली है। लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने एलान किया कि इस बार हुकूमत में आने पर वह न तो अपने बुत लगाएंगी, न ही कोई स्मारक बनाएंगी। वह अपना सारा वक्त यूपी में लॉ एंड आर्डर ठीक करने में लगाएंगी। उनका कहना है कि चार बार यूपी में सीएम रहते हुए उन्हें जितनी मूर्तियां लगानी थीं और जितने स्मारक बनाने थे, उन्होंने बना लिए।
प्रतिमाओं-स्मारकों के निर्माण में 1400 करोड़ का घोटाला
हालांकि मायावती के बनाए स्मारकों की जांच करने वाले यूपी के लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसमें 1400 करोड़ का घोटाला हुआ है। लोकायुक्त ने स्मारक घोटाले में 199 लोगों को दोषी पाया है, जिनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
करोड़ों रुपये की संपत्ति धूल में मिला दी
मायावती 1995 में 39 साल की उम्र में पहली बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं थीं। वह चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रहीं। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उन्हें "मिरेकल ऑफ डेमोक्रेसी" कहा था। फ़ोर्ब्स मैगज़ीन ने उनका शुमार दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलओं में किया था। लोग उन्हें बेहतरीन एडमिनिस्ट्रेटर मानते हैं। लेकिन उन पर मूर्तियों और स्मारकों पर अनाप-शनाप रकम खर्च करने के आरोप लगे। अपनी हुकूमत में उन्होंने अपना बंगला बनाने के लिए चार आलीशान सरकारी बंगले तुड़वा दिए। उनके बंगले की लागत ही करीब 200 करोड़ आंकी गई। आंबेडकर स्मारक बनाने के लिए उन्होंने लखनऊ में एक नया बना हुआ स्टेडियम डायनामाइट से उड़वा दिया। बौद्ध विहार बनाने के लिए करीब 100 अपार्टमेंटों वाली पूरी कॉलोनी डायनामाइट से उड़ा दी। कांशीराम स्मारक बनाने के लिए लखनऊ की तीन जेलें तुड़वा दीं।
सियासत छिनने का एक कारण फिजूलखर्ची भी
अखिलेश यादव की सरकार आने के बाद मायावती की मूर्तियों और स्मारकों की जांच लोकायुक्त को सौंपी गई। उन्होंने कहा कि इन स्मारकों को बनाने में 1400 करोड़ का घोटाला हुआ है। उन्होंने इसमें दो मंत्रियों समेत 199 लोगों को दोषी पाया और घोटाले की पूरी रकम उनकी तनख्वाह से वसूलने के आर्डर दिए। यही नहीं सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इसमें बड़े पैमाने पर घपला पाया। सियासत के जानकार कहते हैं कि शायद मायावती को अहसास हो गया है कि जिन वजहों से उनकी सरकार गई उनमें एक वजह मूर्तियों और स्मारकों पर उनकी फिज़ूलखर्ची भी थी। शायद इसीलिए अब उन्होंने बुत लगाने से तौबा करने का एलान किया है।
प्रतिमाओं-स्मारकों के निर्माण में 1400 करोड़ का घोटाला
हालांकि मायावती के बनाए स्मारकों की जांच करने वाले यूपी के लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसमें 1400 करोड़ का घोटाला हुआ है। लोकायुक्त ने स्मारक घोटाले में 199 लोगों को दोषी पाया है, जिनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
करोड़ों रुपये की संपत्ति धूल में मिला दी
मायावती 1995 में 39 साल की उम्र में पहली बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं थीं। वह चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रहीं। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उन्हें "मिरेकल ऑफ डेमोक्रेसी" कहा था। फ़ोर्ब्स मैगज़ीन ने उनका शुमार दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलओं में किया था। लोग उन्हें बेहतरीन एडमिनिस्ट्रेटर मानते हैं। लेकिन उन पर मूर्तियों और स्मारकों पर अनाप-शनाप रकम खर्च करने के आरोप लगे। अपनी हुकूमत में उन्होंने अपना बंगला बनाने के लिए चार आलीशान सरकारी बंगले तुड़वा दिए। उनके बंगले की लागत ही करीब 200 करोड़ आंकी गई। आंबेडकर स्मारक बनाने के लिए उन्होंने लखनऊ में एक नया बना हुआ स्टेडियम डायनामाइट से उड़वा दिया। बौद्ध विहार बनाने के लिए करीब 100 अपार्टमेंटों वाली पूरी कॉलोनी डायनामाइट से उड़ा दी। कांशीराम स्मारक बनाने के लिए लखनऊ की तीन जेलें तुड़वा दीं।
सियासत छिनने का एक कारण फिजूलखर्ची भी
अखिलेश यादव की सरकार आने के बाद मायावती की मूर्तियों और स्मारकों की जांच लोकायुक्त को सौंपी गई। उन्होंने कहा कि इन स्मारकों को बनाने में 1400 करोड़ का घोटाला हुआ है। उन्होंने इसमें दो मंत्रियों समेत 199 लोगों को दोषी पाया और घोटाले की पूरी रकम उनकी तनख्वाह से वसूलने के आर्डर दिए। यही नहीं सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इसमें बड़े पैमाने पर घपला पाया। सियासत के जानकार कहते हैं कि शायद मायावती को अहसास हो गया है कि जिन वजहों से उनकी सरकार गई उनमें एक वजह मूर्तियों और स्मारकों पर उनकी फिज़ूलखर्ची भी थी। शायद इसीलिए अब उन्होंने बुत लगाने से तौबा करने का एलान किया है।
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