
स्वामी प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
आज माया कांशीराम के विचारों की हत्या कर रही हैं
यूपी में जिसको हम देवी कहते थे, वो भ्रष्टाचार में डूबी हैं
जिला पंचायत चुनाव में भी पैसे का खेल खेला जाता है
मौर्य ने लखनऊ स्थित सीमएमएस परिसर में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि वह अपनी अगली रणनीति का खुलासा 22 सितंबर को रमाबाई अम्बेडकर मैदान में एक रैली के दौरान करेंगे।
मौर्य ने आए हुए लोगों से एक फॉर्म भरवाकर अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में सुझाव भी मांगा।
मौर्य पूरे प्रदेश से आई भीड़ देखकर गदगद थे। उन्होंने कहा, "मैंने प्रत्येक विधानसभा से 30 से 40 कार्यकर्ताओं को आने को कहा था। लेकिन यहां पर आने के बाद पता चला कि 50 हजार से ज्यादा लोग एकत्रित हुए हैं। इससे यह अहसास होता कि मैंने 35 वर्षों से अधिक के अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन में जनता का प्यार कमाया है।"
मौर्य ने कहा कि मायावती ने दलितों और पिछड़ों के अधिकारों से उन्हें वंचित कर दिया है। जिस उद्देश्य से कांशीराम ने बसपा का गठन किया था, उन्हीं की उत्तराधिकारी इसे नीलाम कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि जिस मिशन को कांशीराम आगे बढ़ाते रहे, आज माया उनके विचारों की हत्या कर रही हैं। वह बाबा साहेब के मिशन की हत्या कर रही हैं, कांशीराम के विचारों को ठेस पहुंचा रही हैं। उनके यहां जमीनी कार्यकर्ताओं की कोई कद्र नहीं है।
मौर्य ने कहा, "यूपी में जिसको हम देवी कहते थे, वो भ्रष्टाचार में डूबी हैं। यहां रेप, मर्डर, गरीबों की जमीनों पर कब्जे का अत्याचार चल रहा है लेकिन देवी को चिंता नहीं। उन्हें सिर्फ पैसे की हवस है।"
उन्होंने कहा, "मेरे साथियों ने मुझे बताया कि जिस तरह अरबपति विजय माल्या ने अपने देश का हजारों करोड़ रुपये लेकर विदेश में शरण ले लिया है, उसी तरह माया लाखों रुपया डकार कर विदेश भागना चाहती हैं।"
मौर्य ने मायावती से सवाल किया कि वर्ष 2012 में सरकार से अलग होने के बाद फैमिली की 50 कंपनियों से उन्हें 2000 करोड़ रुपये की आमदनी कैसे हुई? उन्होंने इस पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि जिला पंचायत चुनाव में भी पैसे का खेल खेला जाता है। दलितों को भी पैसे लेकर टिकट दिए गए हैं। जो ढाई लाख रुपये नहीं दे सका, उसे टिकट नहीं मिला। बसपा में विधानसभा के लिए डेढ़ से दो करोड़ रुपये के नीचे टिकट मिलने वाला नहीं है।
मौर्य ने कहा कि मायावती को सच्चे कार्यकर्ताओं की जरूरत नहीं है। उन्हें कलेक्शन अमीन चाहिए। आज जो जोनल कोआर्डिनेटर है, वह कलेक्शन अमीन बनकर लोगों को खोजकर पैसा लाते हैं, उसके बाद उन्हें दिकट दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि कांशीराम के समय में अगर किसी जिले में अध्यक्ष पिछड़े समाज का होता था तो महासचिव दलित होता था। कांशीराम ने पार्टी बनाई थी, माया ने नाम बदल दिया। यह अब 'बहुजन रियल इस्टेट पार्टी' हो गई है। वह पार्टी का दुरुपयोग कर रही हैं।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
स्वामी प्रसाद मौर्य, बीएसपी, बसपा, मायावती, विजय माल्या, यूपी विधानसभा चुनाव 2017, Swami Prasad Maurya, BSP, Mayawati, Vijay Mallya, UP Assembly Polls 2017