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चीन के सामानों के बहिष्कार की खबरों के बीच PM मोदी का 'वोकल फॉर लोकल' का मंत्र, 10 बड़ी बातें

पीएम मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में साल 2020 में देश के सामने तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि इस साल कोरोना, टिड्डी और सीमा पर चुनौतियां खड़ी हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लद्दाख में भारत की तरफ आंख उठाने वालों को करारा जवाब मिला है.

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पीएम मोदी ने मन की बात में वोकल फॉर लोकल की वकालत की है.
नई दिल्ली:

पीएम मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में साल 2020 में देश के सामने तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि इस साल कोरोना, टिड्डी और सीमा पर चुनौतियां खड़ी हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लद्दाख में भारत की तरफ आंख उठाने वालों को करारा जवाब मिला है. भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर चुनौती देना भी जानता है. लेकिन पीएम मोदी के भाषण की खास बात सबसे बड़ी खास बात ये भी है कि जहां एक ओर चीनी सामानों के बहिष्कार का माहौल वहीं उन्होंने भी देश में बनी चीजों के इस्तेमाल करने पर जोर दिया है. उन्होंने रक्षा क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भर बनाने का जिक्र करते हुए कहा कि आजादी से पहले हमारा देश डिफेंस सेक्टर में बहुत आगे था. हमारे पास कई ऑर्डिनेंस फैक्टरियां थीं. लेकिन बाद में कई देश हमसे आगे बढ़ गए. हम आपने पुराने अनुभवों का लाभ नहीं उठा पाए. लेकिन अब इस क्षेत्र में बहुत काम हो रहा है.

10 बड़ी बातें

  1. कोई भी मिशन जन-भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता है. इसीलिए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नागरिक के तौर पर हम सबका संकल्प, समर्पण और सहयोग बहुत जरूरी है.  आप लोकल खरीदेंगे, लोकल के लिए वोकल होंगे. ये भी एक तरह से देश की सेवा ही है. 
  2. आप, किसी भी काम में हों,  हर-एक जगह, देश-सेवा की बहुत संभावना होता ही है. देश की आवश्यकता को समझते हुए, जो भी कार्य करते हैं, वो, देश की सेवा ही होती है. आपकी यही सेवा, देश को कहीं- न-कहीं मजबूत भी करती है. 
  3. हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने - यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी. 
  4. अभी, कुछ दिन पहले, देश के पूर्वी छोर पर तूफान अप्फान आया, तो पश्चिमी छोर पर निसर्ग आया. कितने ही राज्यों में हमारे किसान भाई–बहन टिड्डी दल के हमले से परेशान हैं और कुछ नहीं, तो देश के कई हिस्सों में छोटे-छोटे भूकंप रुकने का ही नाम नहीं ले रहे. 
  5. इन सबके बीच, हमारे कुछ पड़ोसियों द्वारा जो हो रहा है, देश उन चुनौतियों से भी निपट रहा है. वाकई, एक-साथ इनती आपदाएं, इस स्तर की आपदाएं, बहुत कम ही देखने-सुनने को मिलती हैं. 
  6. एक साल में एक चुनौती आए या पचास, नंबर कम-ज्यादा होने से, वो साल, ख़राब नहीं हो जाता। भारत का इतिहास ही आपदाओं और चुनौतियों पर जीत हासिल कर, और ज़्यादा निखरकर निकलने का रहा है. 
  7. संकट चाहे कितना भी बड़ा हो भारत के संस्कार विश्वास देते हैं. भारत ने दुनियाभर की मदद की है. दुनिया ने भारत की विश्व बंधुत्व की भावना को महसूस किया है. दुनिया ने भारत की ताकत और प्रतिबद्धता को भी देखा है. 
  8. लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है. इन साथियों के परिवारों की तरह ही, हर भारतीय, इन्हें खोने का दर्द भी अनुभव कर रहा है. 
  9. अपने वीर-सपूतों के बलिदान पर, उनके परिजनों में गर्व की जो भावना है, देश के लिए जो ज़ज्बा है. यही तो देश की ताकत है. आपने देखा होगा, जिनके बेटे शहीद हुए, वो माता-पिता, अपने दूसरे बेटों को भी, घर के दूसरे बच्चों को भी, सेना में भेजने की बात कर रहे हैं. 
  10. बिहार के रहने वाले शहीद कुंदन कुमार के पिताजी के शब्द तो कानों में गूंज रहे हैं. वो कह रहे थे, अपने पोतों को भी, देश की रक्षा के लिए, सेना में भेजूंगा. यही हौसला हर शहीद के परिवार का है. वास्तव में, इन परिजनों का त्याग पूजनीय है.

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