(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को मन की बात (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के जरिये देश को संबोधित किया. देश के कई हिस्सों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बीच उन्होंने लोगों से सावधानी बरतने को कहा. प्रधानमंत्री मोदी ने त्योहारों की अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए जनता से कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने और नियमों में ढिलाई नहीं बरतने की अपील की है. मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी ने परीक्षा, जल संरक्षण, आत्मनिर्भर भारत और उसमें विज्ञान का महत्व जैसे विषयों का जिक्र किया.
- प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में त्योहारों की अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए कहा कि कोरोनावायरस (Coronavirus) के संबंध में जो भी नियमों का पालन करना उसमें कोई ढिलाई नहीं आनी चाहिये. हमें कोरोना से सावधानी कम नहीं करनी है.
- एग्जाम का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले कुछ महीने युवाओं के जीवन में विशेष महत्व रखते हैं. अधिकतर युवा साथियों की परिक्षाएं होंगी. आपको Warrior बनना है worrier नहीं, हंसते हुए एग्जाम देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है. पर्याप्त नींद भी लेनी है और समय प्रबंधऩ भी करना है. खेलना भी नहीं छोड़ना है.
- प्रधानमंत्री ने बच्चों से रीविजन (Revision) और याद करने के स्मार्ट तरीक़े अपनाने को कहा है. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर इन एग्जाम में, अपने बेस्ट को बाहर लाना है. हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हम सब ‘परीक्षा पे चर्चा' करेंगे. कोरोना के समय में मैंने कुछ समय निकालकर एग्जाम वॉरियर बुक (Exam Warrior Book) में कई नए मंत्र जोड़े हैं. इसमें अभिभावकों के लिए भी कुछ मंत्र एड किये गए हैं.
- कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी ने जी मुझसे सवाल पूछा. उन्होंने कहा कि आप इतने साल से पीएम हैं. इतने साल सीएम रहें, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई. मैंने इस पर बहुत विचार किया. पीएम मोदी ने कहा कि “मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया."
- ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान' में साइंस की शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है. जब हम विज्ञान की बात करते हैं तो कई बार लोग इसे फिजिक्स, केमिस्ट्री और लैब्स तक सीमित कर देते हैं, लेकिन साइंस का विस्तार इससे कहीं ज्यादा है और आत्मनिर्भर भारत में साइंस का बहुत योगदान भी है. मैं जरुर चाहूंगा कि हमारे युवा, भारत के वैज्ञानिक- इतिहास को, हमारे वैज्ञानिकों को जाने, समझें और खूब पढ़ें.
- आत्मनिर्भरता की पहली शर्त होती है- अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनाई वस्तुओं पर गर्व होना. जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत, सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक राष्ट्रीयता की भावना बन जाती है.
- कल माघ पूर्णिमा का पर्व था. माघ का महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्त्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है. इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है. जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है. पानी, एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है. कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है. वैसे ही पानी का स्पर्श, जीवन के लिये जरुरी है, विकास के लिये जरुरी है.
- “हमारे शास्त्रों में कहा गया है:- “माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति ।।” अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है.
- भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो. माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं .जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है.
- जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल शक्ति अभियान ‘Catch the Rain' शुरू किया जा रहा है. इस अभियान का मूल मन्त्र है – ‘Catch the rain, where it falls, when it falls.'