नई दिल्ली:
2006 के मालेगांव धमाकों की जांच में बड़ी चूक सामने आई है। पांच सालों से जेल में बंद नौ आरोपियों का धमाके में कोई हाथ नहीं है। यह खबर सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी को मिली है कि जांच एजेंसी एनआईए इस नतीजे पर पहुंची है कि इन धमाकों में ना तो सिमी का हाथ था और ना ही गिरफ्तार किए गए नौ लोगों का। ऐसे में एनआईए ने यह फ़ैसला किया है कि वो पिछले पांच सालों से जेल में बंद नौ आरोपियों को ज़मानत दिए जाने का विरोध नहीं करेगी। ज़मानत याचिका पर अगले महीने सुनवाई होनी है। 2006 में मालेगांव में हुए दो बम धमाकों में 31 लोग मारे गए थे और 312 लोग घायल हुए थे।मालेगांव बम धमाकों के पीछे पहले प्रतिबंधित इस्लामी छात्र संगठन सिमी का हाथ माना गया और 9 लोग गिरफ्तार कर लिए गए लेकिन धीरे−धीरे यह मामला हिंदूवादी समूह की ओर मुड़ गया। एनडीटीवी को यह भी पता चला है कि सीबीआई ने एनआईए को भेजी गई एक आंतरिक रिपोर्ट में कहा है कि नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी को सिर्फ़ हिंदुत्व समूह की भूमिका की जांच करनी चाहिए। इस मामले में स्वामी असीमानंद के कबूलनामे के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित और प्रज्ञा ठाकुर समेत आठ लोग पिछले साल गिरफ्तार किए गए लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज तक मालेगांव धमाके में उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया है। ये सभी दूसरे मामलों में जेल में बंद हैं।