डॉ. भीमराव अंबेडकर की फाइल फोटो
मुंबई:
भारत के संविधान निर्माता डॉ. बीआर अम्बेडकर के लन्दन स्थित घर को खरीदने के लिए महाराष्ट्र सरकार के हाथ से समय रेत की तरह फिसलता दिख रहा है। घर के मालिक डगलस स्माईली ने ई-मेल से सूचित किया है कि अगर सोमवार तक राज्य सरकार ने कोई सकारात्मक फैसला नहीं लिया तो वो इस घर से हाथ धो बैठेंगे।
इस घर को खरीदने के लिए राज्य सरकार ने वैल्युअर की नियुक्ति की जिसमें से एक ने 29 करोड़ 90 लाख रुपये तो दूसरे ने 30 करोड़ रुपये का वैल्यूएशन किया। जबकि, घर मालिक 31 करोड़ रुपये कीमत चाहता है।
महाराष्ट्र कैबिनेट ने 3 फरवरी 2015 को यह फैसला लिया कि वह इस घर के लिए 40 करोड़ रुपये तक दे सकती है। लेकिन, इस फैसले को अमलीजामा पहनाने में सरकार फेल होती दिख रही है।
फरवरी से अब तक महज बातचीत में मामला फंसता देख तंग आ कर घर के मालिक ने अपने एजेंट ऐडम फ्रेंच के जरिए लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में तैनात सम्बंधित अधिकारी को बता दिया है कि अगर सोमवार तक सही कीमत नहीं मिली तो घर का रिनोवेशन शुरू किया जाएगा। साथ ही इस घर का मालिकाना हक़ ट्रस्ट को सुपुर्द होगा।
लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में दाखिला ले चुके डॉ. अम्बेडकर लन्दन के 10, किंग हेनरीज रोड पर स्थित ढाई हजार स्क्वायर फीट के घर में सन 1921 और 1922 में रहे थे। बाबासाहब की याद में इस घर को खरीद कर महाराष्ट्र सरकार इसे म्यूजियम में तब्दील करना चाहती है। लेकिन, सरकारी लालफीताशाही में यह प्रक्रिया फंसती दिख रही है।
इस घर को खरीदने के लिए राज्य सरकार ने वैल्युअर की नियुक्ति की जिसमें से एक ने 29 करोड़ 90 लाख रुपये तो दूसरे ने 30 करोड़ रुपये का वैल्यूएशन किया। जबकि, घर मालिक 31 करोड़ रुपये कीमत चाहता है।
महाराष्ट्र कैबिनेट ने 3 फरवरी 2015 को यह फैसला लिया कि वह इस घर के लिए 40 करोड़ रुपये तक दे सकती है। लेकिन, इस फैसले को अमलीजामा पहनाने में सरकार फेल होती दिख रही है।
फरवरी से अब तक महज बातचीत में मामला फंसता देख तंग आ कर घर के मालिक ने अपने एजेंट ऐडम फ्रेंच के जरिए लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में तैनात सम्बंधित अधिकारी को बता दिया है कि अगर सोमवार तक सही कीमत नहीं मिली तो घर का रिनोवेशन शुरू किया जाएगा। साथ ही इस घर का मालिकाना हक़ ट्रस्ट को सुपुर्द होगा।
लन्दन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में दाखिला ले चुके डॉ. अम्बेडकर लन्दन के 10, किंग हेनरीज रोड पर स्थित ढाई हजार स्क्वायर फीट के घर में सन 1921 और 1922 में रहे थे। बाबासाहब की याद में इस घर को खरीद कर महाराष्ट्र सरकार इसे म्यूजियम में तब्दील करना चाहती है। लेकिन, सरकारी लालफीताशाही में यह प्रक्रिया फंसती दिख रही है।
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