बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण खत्म कर दिया है.
मुंबई:
महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण रद्द कर दिया गया है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह अहम फैसला सुनाया है. इस फैसले के बाद पदोन्नति में आरक्षण का लाभ ले चुके लोगों पर प्रमोशन छिनने का खतरा मंडराने लगा है. राज्य में यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बन सकता है.
महाराष्ट्र सरकार ने साल 2004 में एक जीआर निकालकर सरकारी नौकरी में पदोन्नति आरक्षण लागू किया था. इसके तहत अनुसूचित जाति को 13 फीसदी, अनुसूचित जनजाति को 7 फीसदी , भटक्या विमुक्ति (बंजारा) जाति -जमाति और विशेष तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए 13 फीसदी आरक्षण लागू किया था.
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हालांकि इस आरक्षण को तब मैट ने खारिज कर दिया था लेकिन मैट के आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. मामले में डिवीजन बेंच में पहले सुनवाई हुई लेकिन दोनों जजों में सहमति नही बन पाई तब मामला एक बार फिर सिंगल बेंच के पास गया जहां जज ने भी मैट के आदेश को बरकरार रखा. इस तरह 2 - 1 से सरकारी नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण रद्द करने का फैसला सुनाया गया.
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अदालत ने अपने आदेश में 12 सप्ताह के भीतर सरकार को जरूरी फेरबदल का आदेश दिया है. लेकिन साथ में आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में जाने के लिए तीन महीने का वक्त भी दिया है.
VIDEO : लोकसभा में हंगामा
अदालत के कल के आदेश के बाद पदोन्नति में आरक्षण का लाभ ले चुके लोगों से पदोन्नति छिनने का खतरा मंडराने लगा है. राज्य में यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बन सकता है.
महाराष्ट्र सरकार ने साल 2004 में एक जीआर निकालकर सरकारी नौकरी में पदोन्नति आरक्षण लागू किया था. इसके तहत अनुसूचित जाति को 13 फीसदी, अनुसूचित जनजाति को 7 फीसदी , भटक्या विमुक्ति (बंजारा) जाति -जमाति और विशेष तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए 13 फीसदी आरक्षण लागू किया था.
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हालांकि इस आरक्षण को तब मैट ने खारिज कर दिया था लेकिन मैट के आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. मामले में डिवीजन बेंच में पहले सुनवाई हुई लेकिन दोनों जजों में सहमति नही बन पाई तब मामला एक बार फिर सिंगल बेंच के पास गया जहां जज ने भी मैट के आदेश को बरकरार रखा. इस तरह 2 - 1 से सरकारी नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण रद्द करने का फैसला सुनाया गया.
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अदालत ने अपने आदेश में 12 सप्ताह के भीतर सरकार को जरूरी फेरबदल का आदेश दिया है. लेकिन साथ में आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में जाने के लिए तीन महीने का वक्त भी दिया है.
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अदालत के कल के आदेश के बाद पदोन्नति में आरक्षण का लाभ ले चुके लोगों से पदोन्नति छिनने का खतरा मंडराने लगा है. राज्य में यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बन सकता है.
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