यह ख़बर 23 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

महाराष्ट्र : फडणवीस सरकार ने राज्य से हटाया मुस्लिम आरक्षण

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

नागपुर:

महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण खत्म हो रहा है। राज्य की बीजेपी-शिवसेना सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में रखे आरक्षण विधेयक में से मुस्लिम आरक्षण को कायम करने की बात को 'डिलीट' कर दिया है। जबकि केवल मराठा आरक्षण को कायम करने की बात पर जोर दिया है। इस से राज्य में मुस्लिम के भविष्य पर सवाल उठा है।

मराठा व मुस्लिम आरक्षण कानून को कोर्ट से सम्पूर्ण मंजूरी न मिलने के चलते सरकार पर 24 दिसम्बर से पहले फैसला लेने का दबाव बना था। आरक्षण को लागू करते सरकारी अध्यादेश की मियाद 24 दिसम्बर को खत्म जो हो रही थी। कानूनन अध्यादेश को छह महीने के भीतर विधानमंडल की मान्यता जरूरी होती है।

इससे पहले की कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने विशेष अध्यादेश के जरिये महाराष्ट्र में मराठा समाज के लिए 16 फीसदी और मुसलमानों के लिए पांच फ़ीसदी आरक्षण लागू किया था। यह आरक्षण शिक्षा के साथ सरकारी नौकरियों में भी लागू होना था। तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने आरक्षण लागू करने के समय दावा किया था कि मराठा और मुसलमानों के पिछड़ेपन को खत्म करने के लिए यह आरक्षण दिया जा रहा है।

पत्रकार केतन तिरोड़कर के साथ अन्य लोगों ने इस नए आरक्षण का विरोध किया और बॉम्बे हाईकोर्ट में इसे रद्द करने के लिए याचिका पेश की। मराठा और मुस्लिम आरक्षण का विरोध करनेवालों का दावा था कि, इस नए 21 फीसदी आरक्षण से महाराष्ट्र में कुल आरक्षण 74 फीसदी तक जा रहा है। जो कि गैर-संवैधानिक है। महाराष्ट्र में 52 फीसदी आरक्षण पहले से चला आ रहा है। इसी के साथ आरक्षण को हटाने की मांग करते हुए यह भी कहा गया कि, मराठा वर्ग पिछड़ा नहीं है। मराठा, महाराष्ट्र की शासक जमात है। जो चातुर्वर्ण्य में क्षत्रियों की शा्रेणी में गिनी जाती है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने इन दावों को मानते हुए मराठा और मुस्लिम आरक्षण कानून को खारिज़ करते हुए महाराष्ट्र में मुसलमानों को केवल शिक्षा में पांच फीसदी आरक्षण जारी रखने को मंजूरी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को कायम रखा। ऐसे में बढ़ते राजनीतिक दबाव के बाद फ़डणवीस सरकार को कानूनी सलाह के अनुसार विधेयक के जरिये दोबारा आरक्षण लागू करने की मशक्कत करनी पड़ी। लेकिन, इस विधेयक के मसौदे से मुस्लिम आरक्षण की बात हटा दी गई है।

इस फैसले का ऐलान होते ही महाराष्ट्र विधानमंडल के नागपुर में चल रहे शीतकालीन सत्र का माहौल गर्मा गया है। एनसीपी विधायक अजित पवार ने इस पर आपत्ति उठाते हुए कहा है कि, "भाजपा की सरकार संघ के अजेंडे पर काम कर रही है। उसके इस फैसले से समाज में दरार पैदा होगी।"

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने इस फैसले पर खुलकर तो कुछ नहीं बोला लेकिन, जाते-जाते वे यह कह गए कि, "पिछली सरकार का किया हुआ मुस्लिम आरक्षण मौजूदा वित्तीय वर्ष, यानि 31 आर्च 2015 तक जारी होगा।"

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फिलहाल, बीजेपी सरकार के लिए सत्र के आखिरी दिन विधान-परिषद में आरक्षण विधेयक कानून को मंजूर करना एक चुनौती होगी। क्योंकि, इस ऊपरी सदन में राज्य सरकार के पास बहुमत नहीं है।