मुंबई के 90 प्रतिशत से ज्यादा कोरोना से संक्रमित मामले बड़ी इमारतों से बताए जा रहे हैं, और इन मरीजों को बेड प्राइवेट अस्पतालों में ही चाहिए. इसलिए मामले बढ़ने के साथ निजी अस्पतालों पर काफी दवाब बढ़ गया है. जिससे हुआ ये कि मुंबई में निजी अस्पतालों के बेड 90 प्रतिशत भर चुके हैं. वहीं, महाराष्ट्र के मंत्री आरोप लगा रहे हैं कि बिना गंभीर लक्षण के कुछ हस्तियां बड़े अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के 90 प्रतिशत मामले रिहायशी इलाकों से आ रहे हैं. बीएमसी डैशबोर्ड के मुताबिक सरकारी संस्थानों में 3,201 समान्य बेड हैं. 1074 ऑक्सीजन बेड हैं. 26 आईसीयू हैं, और 9 वेंटिलेटर बेड हैं, जबकि प्राइवेट अस्पतालों में महज 544 सामान्य बेड, 323 ऑक्सीजन बेड, 19 आईसीयू और तीन वेंटिलेटर बेड खाली हैं.
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डैशबोर्ड के मुताबिक, निजी अस्पतालों 90 प्रतिशत और सरकारी अस्पताल 76 प्रतिशत भर चुके हैं. कोरोना संक्रमितों में शहर का अमीर तबका बड़ी संख्या में हैं. अस्पतालों में कोविड बेड मैनेजमेंट के लिए बीएमसी द्वारा अपॉइंट किए गए डॉक्टर गौतम भंसाली बताते हैं कि हर कोई बड़े प्राइवेट अस्पतालों में ही बेड पाने के लिए बेताब हैं. लीलावती अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर जलील पारकरक बताते हैं कि लोगों की जान बचाने के लिए जहां भी बेड मिले वहां लगाए जा रहे हैं. इस बीच महाराष्ट्र के मंत्री असलम शेख बिना नाम लिए आरोप लगा रहे हैं कि कुछ हस्ती बिना गंभीर लक्षण के वो बड़े अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि, “कुछ सेलिब्रिटी, कुछ लोग अपनी सोर्स लगाकर अस्पतालों में एडमिट हो रहे हैं. जिस वजह से जरूरतमंद लोगों को अस्पतालों में जगह नहीं मिल पा रही है.
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