मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों की जांच हाईकोर्ट के एक रिटायर जज करेंगे. यह जानकारी खुद गृहमंत्री अनिल देशमुख ने दी है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने उनके हवाले से लिखा है, 'महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने फैसला किया है कि मेरे खिलाफ मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच हाईकोर्ट के एक रिटायर जज करेंगे.'
बता दें, परमबीर सिंह के अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों के बाद महाराष्ट्र की सियासत में एक भूचाल आ गया था. विपक्षी दल गृहमंत्री अनिल देशमुख से इस्तीफे की मांग कर रहे थे, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने भी परमबीर सिंह की मंशा पर सवाल उठाए कि जब वो मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद पर थे तो उन्होंने चुप्पी क्यों साधी. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि पहले जांच होगी, दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.
Maharashtra CM has decided that the allegations levelled against me by former Mumbai Police Commissioner will be probed by a retired high court judge: Maharashtra Home Minister Anil Deshmukh pic.twitter.com/CHys7KV5Ou
— ANI (@ANI) March 28, 2021
'सचिन वाजे वसूली कर रहा था और अनिल देशमुख अनजान थे?' शिवसेना ने की अपनी ही सरकार के मंत्री की खिंचाई
परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को खत लिखकर अनिल देशमुख पर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि गृहमंत्री ने उन्हें वसूली के लिए टारगेट दिया हुआ था. यह खत उन्होंने तब लिखा, जब उन्हें मुंबई पुलिस के कमिश्नर पद से हटाकर होमगार्ड भेज दिया. उन्हें मुंबई पुलिस आयुक्त पद से इसलिए हटाया गया था. क्योंकि उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक से लदी कार मिली थी. इसके पीछे मुंबई पुलिस के इंस्पेक्टर सचिन वाझे का नाम सामने आया था. सचिन वाझे परमबीर सिंह के करीबी रहे हैं. सचिन वाझे कई वर्षों से निलंबित चल रहे थे, जिसे परमबीर सिंह ने बहाल किया था. सचिन वाझे अभी एनआईए की गिरफ्त में हैं.
विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र में आए सियासी भूचाल के बीच राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग कर डाली थी. वहीं, परमबीर सिंह इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि आपको पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए.
हालांकि, एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना गंठबंधन के नेता कहते रहे कि महाराष्ट्र सरकार को कोई आंच नहीं आएगी. पहले खबरें आ रही थीं कि अनिल देशमुख को उनके पद से हटाया जाएगा. लेकिन बाद में एनसीपी प्रमुख शरद पवार उनके समर्थन में उतरे और सरकार का रुख भी उनके प्रति नरम दिखाई दिया. सरकार ने तय किया है कि ये आरोप गंभीर हैं और इनकी जांच करवाई जाएगी.
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