अजित पवार (Ajit Pawar) की घर वापसी को लेकर दिलचस्प कहानी सामने आ रही है. किस तरह से पूरा पवार परिवार ने मिलकर मजबूर कर दिया कि अजित पवार वापस एनसीपी (NCP) में आ गए. इस पूरे मामले में शरद पवार (Sharad Pawar) ने सबसे धैर्य से काम लिया. उन्होंने इस पूरे संकट के दौरान जरा भी जल्दबाजी नहीं दिखाई. शरद पवार की तरफ से अजित पवार के लिए एक भी बयान नहीं दिया गया ना ही कोई कार्रवाई की गई. लगता है कि शरद पवार समय का इंतजार कर रहे थे. दूसरी तरफ अजित पवार को भी यह अहसास हो रहा था कि रात के अंधेरे में जल्दबाजी में उनसे गलती हो गई है. इसलिए उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री का पद नहीं संभाला, ना ही देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadanvis) की तरह वह किसी सरकारी कार्यक्रम में गए. वो भी इस दौरान चुपचाप रहे.
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यहीं नहीं शरद पवार ने अपनी पार्टी के तीन बड़े नेताओं को अजित पवार से मिलने भेजा. इनमें छगन भुजबल और जयंत पाटिल शामिल थे. ये तो हुई राजनीति की बातें, इस पूरे संकट में पूरा शरद पवार परिवार भी जुटा हुआ था कि कैसे यह संकट जल्द से जल्द हल कर लिया जाए. सुप्रिया सुले जिन्होंने व्हाट्सऐप पर स्टेटस में पहले लिखा था कि 'पार्टी तो टूटा ही परिवार भी टूट गया.' अब शांत हो गई थीं उन्होंने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए चुप्पी साध ली थी.
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दूसरी तरफ सुप्रिया सुले की मां ने भी अजित पवार से बात की और उन्हें समझाने की कोशिश की साथ में अजित पवार के बेटे पार्थ को भी इस काम में लगाया गया. पार्थ पवार के राजनैतिक भविष्य को लेकर भी अजित पवार चिंतित बताए जाते हैं, क्योंकि पार्थ लोकसभा का चुनाव इस बार लड़े थे और हार गए. वहीं पवार परिवार का एक और लड़का रोहित पवार इस बार विधानसभा चुनाव जीत गए हैं और कहा जा रहा है कि शरद पवार ने रोहित पवार को तीसरी पीढी की कमान सौंपने की तैयारी कर रहे हैं.
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खैर जो भी हो इसे पूरे संकट में एक और पवार का नाम आता है, जिन्हें कोई नहीं जानता है वो हैं शरद पवार के एक और भतीजे जो अजित पवार से उम्र में बड़े हैं, उनका नाम है श्रीनिवास. अजित पवार शपथ लेने के बाद कई घंटों तक श्रीनिवास के घर पर ही थे और इतनी देर में श्रीनिवास अजित पवार को यह समझाने में कामयाब रहे कि उनसे गलती हो गई है और जहां तक उपमुख्यमंत्री का पद है वो उन्हें यहां भी मिल सकता है. वैसे एक बात और है कि अजित पवार एनसीपी की एक बैठक में बीजेपी के साथ सरकार बनाने की वकालत कर चुके थे, जिसे शरद पवार ने नकार दिया था. अब तक अजित पवार परिवार के दबाब में घिरते जा रहे थे. सुप्रिया सुले का बयान आ गया कि 'भाई वापस आ जाओ. पवार अपना संदेशा लगातार भिजवा ही रहे थे साथ में पार्टी की तरफ से कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही थी.
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अजित पवार के बारे में कहा जाता है कि वो काफी इमोशनल इंसान हैं और तैश में आकर कुछ भी कर जाते हैं. करते वक्त वह सोचते नहीं और बाद में उनको इसका अहसास होता है. जैसा कि वह पहले भी कह चुके हैं कि मैं राजनीति से संन्यास लेना चाहता हूं, उनकी इसी कमजोरी का फायदा पवार परिवार ने उठाया और महिलाओं ने बागडोर संभाली और अजित पवार टूट गए और चुपचार वापिस शरद पवार के पास आ गए. ये शरद पवार का ही कमाल था कि ऐसी चाल चली कि हाथ में सत्ता का रिमोट, बेटी को विरासत, भतीजे की घर वापसी और खुद कहलाए 'चाणक्य'.
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