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This Article is From Feb 11, 2021

महाराष्ट्र के गवर्नर को सरकारी विमान न मिलने पर विवाद, 2 घंटे तक करना पड़ा इंतजार

रिपोर्ट के अनुसार, राज्यपाल को देहरादून की फ्लाइट के लिए लंबे इंतजार के बाद कामर्शियल फ्लाइट लेनी पड़ी. आखिरी मिनट तक उनके लिए विशेष विमान की व्यवस्था नहीं हो सकी. 

महाराष्ट्र के गवर्नर को सरकारी विमान न मिलने पर विवाद, 2 घंटे तक करना पड़ा इंतजार
रिपोर्ट में कहा गया है कि गवर्नर उत्तराखंड के लिए सुबह 10 बजे फ्लाइट लेनी थी
मुंबई:

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ( Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari) को गुरुवार सुबह उस वक्त कथित तौर पर दो घंटे तक मुंबई एयरपोर्ट पर इंतजार करना पड़ा, जब वे फ्लाइट से देहरादून जाने वाले थे. लेकिन राजकीय विमान न मिल पाने से देरी हुई.रिपोर्ट के अनुसार, गवर्नर को देहरादून के लिए कामर्शियल फ्लाइट लेनी पड़ी, क्योंकि आखिरी मिनट तक राजकीय विमान के लिए मंजूरी नहीं मिली. 

यह भी पढ़ें- गवर्नर कोश्‍यारी को सरकारी प्‍लेन न देने के मामले में शिवसेना की सफाई, 'पीएम भी कहते हैं VVIP संस्‍कृति नहीं होनी चाहिए'

रिपोर्ट के अनुसार, गवर्नर को गृह राज्य उत्तराखंड के लिए सुबह 10 बजे फ्लाइट पकड़नी थी. पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा, राजकीय विमान पहले बुक किया गया था, लेकिन अंतिम वक्त तक इसे मंजूरी नहीं दी गई. सूत्रों का कहना है कि सामान्यतया गवर्नर मंजूरी के लिए इंतजार नहीं करते हैं, वह एय़रक्राफ्ट में बैठे. लेकिन पायलट ने तब कहा था कि अब मंजूरी नहीं दी गई. इसके बाद राज्यपाल के कार्यालय ने एक निजी विमान में सीट बुक की और वह दोपहर 12.15 बजे देहरादून के लिए रवाना हुए. 

महाराष्ट्र में विपक्षी दल BJP ने कहा है कि शिवसेना की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार ने राजनीतिक प्रतिशोध की वजह से राज्य सरकार के विशेष विमान की इजाजत नहीं दी. जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन का आरोप है कि राज्यपाल कोश्यारी भेदभाव कर रहे हैं. बीजेपी ने इसे गवर्नर का अपमान बताया है और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से इस मामले में माफी की मांग की है. 

महाराष्ट्र सरकार और राज्य के गवर्नर के बीच गतिरोध इस वक्त विधानपरिषद के 12 नामित सदस्यों को लेकर चल रहा है. गवर्नर कोश्यारी ने सरकार की ओर से भेजे गए नामों को अभी तक संस्तुति नहीं दी है.महाराष्ट्र में पूर्व मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा है कि अगर राज्य सरकार ने जानबूझकर मंजूरी देने से इनकार किया है तो यह राज्य की प्रतिष्ठा पर धब्बा है. अगर यह फजीहत जानबूझकर नहीं हुई है तो महाराष्ट्र सरकार को उस अधिकारी को निलंबित करना चाहिए, जो समय पर राज्यपाल की फ्लाइट के लिए मंजूरी जारी नहीं कर सका.

वरिष्ठ शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत का कहना है कि इस घटनाक्रम के पीछे कोई राजनीति नहीं है और शिवसेना ऐसी प्रतिशोध की राजनीति में विश्वास नहीं रखती. सिर्फ विधान परिषद के 12 नामों को मंजूरी न देने को लेकर हम उनके विमान को उड़ान भरने से नहीं रोकेंगे.
 

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