महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) पर सीएम पद गंवाने का खतरा बढ़ता जा रहा है. राज्यपाल ने अभी तक उन्हें विधान परिषद के लिए नामित नहीं किया गया है. उद्धव इस समय न तो महाराष्ट्र विधानसभा और न ही विधान परिषद (Legislative council)के सदस्य हैं. उद्धव ने 28 नवंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और इस हिसाब से सीएम बने रहने के लिए छह माह यानी 28 मई तक उनका विधायक बनना बनना जरूरी है. इसमें करीब एक माह का ही समय बाकी है. कोरोना वायरस की महामारी के मद्देनजर कोई भी चुनाव (विधान परिषद भी इसमें शामिल) नहीं होना है, ऐसे में राज्यपाल की ओर से मनोनयन ही उद्दव के सामने एकमात्र विकल्प बचा है.
ठाकरे की सरकार ने सोमवार शाम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) को दूसरा रिमाइंडर भेजा, जिसमें उद्धव ठाकरे को विधानसभा के ऊपरी सदन यानी विधान परिषद में नामित करने का आग्रह किया. इस संबंध में पहला पत्र 11 अप्रैल को भेजा गया था. शिवसेना ने राज्यपाल कोश्यारी की ओर से ठाकरे के मनोनयन में 'देरी' के मामले में बीजेपी पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. कोश्यारी बीजेपी से जुड़े रहे हैं और राज्यपाल बनने से पहले उत्तराखंड के सीएम रह चुके हैं. उद्धव के पास विधान परिषद का सदस्य बनने के लिए 28 मई तक का समय है, यदि वे इसमें नाकाम रहे तो सीएम पद छोड़ने को मजबूर होना पड़ेगा. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद छह महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी होता है.
राज्यपाल दो सदस्यों को विधान परिषद में मनोनीत कर सकता है.
शिवसेना-एनसीपी- कांग्रेस गठबंधन के प्रमुख के रूप में उद्धव ठाकरे ने महीनेभर के राजनीतिक ड्रामे के बाद नवंबर माह में महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ ली थी. महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर लड़ा था लेकिन बाद में मतभेदों के चलते दोनों अलग हो गए थे. इसके बाद सरकार के गठन को लेकर हर तरफ से दावे हुए थे. बीजेपी के देवेंद्र फड़नवीस ने एनसीपी के अजित पवार के समर्थन से राज्य के सीएम पद की शपथ ली थी लेकिन बहुमत न होने के बाद बाद में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की ओर से उद्धव ने सीएम पद की शपथ ली थी. राज्यपाल की ओर से अभी इस बात पर कोई संकेत नहीं दिया गया है कि वह राज्य मंत्रिमंडल की 'सिफारिश' पर अमल करते हुए ठाकरे को विधान परिषद के लिए मनोनीत करेंगे या नहीं. NDTV ने राज्यपाल कार्यालय से जवाब मांगा, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि स्वास्थ्य आपातकाल (कोरोना महामारी के कारण) की स्थिति में राज्यपाल को महाराष्ट्र को संवैधानिक संकट में नहीं डालना चाहिए. भारत में कोविड-19 के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में ही सामने आए हैं.
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