
नई दिल्ली:
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी की समय से पूर्व रिहाई (प्री-मेच्योर रिलीज) की याचिका मद्रास हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि, यहा मामला पहले ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इस मामले में तमिलनाडु सरकार नलिनी की रिहाई के पक्ष में थी, लेकिन केंद्र सरकार को स्टे मिल गया. केंद्र सरकार का तर्क था कि राजीव गांधी की हत्या का मुकदमा केंद्रीय एजेंसी ने लड़ा है. ऐसे में राज्य सरकार उसे नहीं छोड़ सकती है. आपको बता दें कि, यह पहला मौका नहीं है जब नलिनी मे समय पूर्व रिहाई की मांग की है. इससे पहले भी प्री-मेच्योर रिलीज की याचिका डाली गई थी. जिसे कोर्ट द्वारा खारिज किया जा चुका है.
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गौरतलब है कि, पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के एक अन्य दोषी पेरारिवलन की याचिका खारिज कर दी थी. 27 साल से जेल में बंद पेरारिवलन ने कोर्ट से अपने आदेश को वापस लेने और सज़ा रद्द करने की मांग की थी. उसका दावा था कि उसे मामले में गलत तरीके से फंसाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पेरारीवलन की पूरी याचिका सीबीआई के पूर्व एसपी त्यागराजन के हलफनामे पर आधारित है. SP के हलफनामे पर भरोसा नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि 25 साल बाद इस तरह का हलफनामा स्वीकार नहीं, ये लापरवाही है और परजूरी के समान है. इकबालिया बयान से साफ है कि पेरारीवलन LTTE से जुडा था. कोर्ट ने सवाल उठाया था कि MDMA की जांच में देरी क्यों हो रही है. इस संबंध में श्रीलंका से जवाब लेकर चार हफ्ते में कोर्ट को बताया जाए. इसके जवाब में CBI ने कहा था कि हत्या में पेरारिवलन की भूमिका स्पष्ट है.
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VIDEO: राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का मामला संविधान पीठ के हवाले
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