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This Article is From Mar 04, 2021

मध्‍य प्रदेश: कागज बनकर रह गईं डिग्री , बेरोजगारों की कतार में हैं लाखों युवा

निजी एजेंसियों के मुताबिक, मध्‍य प्रदेश में लगभग डेढ़ करोड़ बेरोजगार हैं. हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने बताया है कि रोजगार कार्यालयों में कुल 24.72 लाख पंजीकृत बेरोज़गार हैं.

मध्‍य प्रदेश: कागज बनकर रह गईं डिग्री , बेरोजगारों की कतार में हैं लाखों युवा
बड़वानी जिला मुख्यालय पर बेरोजगार युवाओं ने दंडवत प्रणाम करते हुए रैली निकाली
भोपाल:

मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव होने वाले हैं, इससे पहले सरकार युवाओं के लिए बजट में शिक्षा में 24000 तो पुलिस में 4 हजार नौकरियों का बड़ा वादा लेकर आई है.आज भी इस पर काम शुरू हो तो भर्ती होने में 4 से 6 महीने लगेंगे. हालांकि बजट में वित्त मंत्री ने नई भर्तियों की कोई डेडलाइन नहीं बताई है. बड़वानी जिला मुख्यालय पर बेरोजगार युवाओं ने दंडवत प्रणाम करते हुए रैली निकाली. इन्‍होंने कहा कि 21600 पदों पर हमने फॉर्म भरा था. हमारा आंदोलन रोजगार के लिये है. 863 पद भर दिये, 20000 कहां जाएंगे. हम दंडवत प्रणाम कर रहे हैं, सोशल मीडिया के माध्यम से आंदोलन कर रहे हैं. हम बता रहे हैं कि आपको दंडवत प्रणाम करते हैं अब तो भर्ती निकालो. सरकार इन्हें नौकरी कब देगी ये पता नहीं लेकिन हां इनको नौकरी देने वाले रोजगार कार्यालय के बारे में सरकार ने फैसला कर लिया है.

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पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह के सवाल के लिखित जवाब में विधानसभा में सरकार ने बताया है कि राज्य के 51 जिलों में से 36 में वह रोजगार कार्यालय बंद करने जा रही है. यह भी तब, जब मार्च 2020 से 1357493 उम्मीदवारों ने इन दफ्तरों में अपना पंजीयन करवाया है. पूर्व कैबिनेट मंत्री जयवर्धन सिंह कहते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते थे 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देंगे. मैंने प्रश्न पूछा तो जवाब में आया कि 51 में 36 में कार्यालय बंद करेंगे. बात आउटसोर्स की नहीं है हर जिले में दायित्व था, आंकड़ा मिलता ताकि बता सकें कौन-कौन बीए पास है, इंजीनियर है बगैरह-बगैरह. हर जिले में कार्यालय बंद करेंगे तो रोजगार ढूंढने कहा जाएंगे?'

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हालांकि इस बारे में सरकार के अपने तर्क हैं. कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग कहते हैं, 'कमलनाथ की 15 महीने की सरकार में केवल मंत्रियों को उनके दलालों को रोजगार दिया गया. यही कारण है कि पहले पूरी तरह से कार्यालय कार्यमुक्त हो गये थे. हमारी सरकार रोजगार का मतलब सिर्फ सरकारी नौकरी में रोजगार को नहीं मानती. निजी सेक्टर और स्वरोजगार के माध्यम से युवा जुड़ सकें. ये हालात तब हैं जब राज्य में सरकारी विभागों में ही लगभग 1 लाख पद खाली हैं. पिछले तीन साल से कोई बड़ी भर्ती परीक्षा भी नहीं हुई है.

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निजी एजेंसियों के मुताबिक, राज्य में लगभग डेढ़ करोड़ बेरोजगार हैं. हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार ने बताया है कि रोजगार कार्यालयों में कुल 24.72 लाख पंजीकृत बेरोज़गार हैं. मध्यप्रदेश रोजगार बोर्ड 2018 तक ही चल पाया. 
स्कूल शिक्षा विभाग में 70000 पद खाली हैं, स्कूल शिक्षा में वर्ग एक और दो के 30000 रिक्त पदों के लिए तीन साल पहले परीक्षा हुई थी लेकिन अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए भटक रहे हैं. पुलिस विभाग में 9000 पद खाली हैं, तीन साल से भर्ती न होने की वजह से करीब तीन कौशल विकास विभाग में 2018 में डिस्ट्रिक्ट फैसिलिटेटर के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था. 102 उम्मीदवारों का चयन भी हो गया. वर्ष 2019 में इंटरव्यू, वेरिफिकेशन भी हो गया, लेकिन नियुक्ति नहीं दी गई. वर्ष 2017 में पटवारी और दूसरे पदों के लिये 9235 भर्ती निकली, 8 लाख से ज्यादा उम्मीदवार शामिल भी हुए.वेटिंग में 1300 पद बचे, फिर भी उम्मीदवारों को मौका नहीं मिला. सरकार ने वैसे 24000 शिक्षकों की भर्ती का ऐलान किया है, पुलिस में भी भर्ती परीक्षा होगी लेकिन असली दिक्कत उन उम्मीदवारों की है जो सोशल मीडिया में बरसों से ट्रेंड करवाकर उम्र की सीमा से ही बाहर हो चुके हैं. घटती सरकारी नौकरियां भी फिक्र का सबब हैं. लेकिन अब जब सरकारी नजरिया ही ये होने लगे कि बैंड बजाने, पकौड़े तलने को भी रोजगार माना जाएगा तो फिर ये युवा शिकायत करें भी तो किससे.
 

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