लखनऊ विश्वविद्यालय के कर्मचारी ने अयोध्या में मस्जिद निर्माण में दिया योगदान

लखनऊ विश्वविद्यालय की लॉ फैकेल्टी के एक कर्मचारी अयोध्या में मस्जिद निर्माण में योगदान देने वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं जो कि मस्जिद ट्रस्ट बोर्ड के सदस्य नहीं हैं.

लखनऊ विश्वविद्यालय के कर्मचारी ने अयोध्या में मस्जिद निर्माण में दिया योगदान

रोहित श्रीवास्तव ने मस्जिद निर्माण के लिए दान किया है.

लखनऊ:

लखनऊ विश्वविद्यालय की लॉ फैकेल्टी के एक कर्मचारी अयोध्या में मस्जिद निर्माण में योगदान देने वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं जो कि मस्जिद ट्रस्ट बोर्ड के सदस्य नहीं हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मुस्लिम समुदाय को मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दिए जाने का आदेश दिया था. पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले में ये ऐतिहासिक फैसला दिया था. 

शनिवार को रोहित श्रीवास्तव ने 21 हजार रुपये की राशि इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) को दान की. फाउंडेशन को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने एक कॉम्प्लेक्स के निर्माण की देखरेख के लिए स्थापित किया है. कॉम्प्लेक्स में एक मस्जिद , एक अस्पताल, एक पुस्तकालय और एक इंडो-इस्लामिक सांस्कृतिक अनुसंधान केंद्र, एक संग्रहालय और एक सामुदायिक रसोईघर होगा.

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IICF के सचिव, अतहर हुसैन, ने बताया ,"कल हमारे लिए एक खुशी का दिन था, जब ट्रस्टियों के बाहर से पहला दान स्वीकार किया गया.  विशेष रूप से इसलिए क्योंकि यह लखनऊ के रोहित श्रीवास्तव ने दिया है. उनके द्वारा किए गए इस कृत्य ने लखनऊ, या अवध की, गंगा-जमुनी तहज़ीब का एक आदर्श उदाहरण स्थापित किया है.''

हुसैन ने कहा कि दान ने आईआईसीएफ की भावना को भी बढ़ाया है और अयोध्या में आवंटित पांच एकड़ भूमि पर परिसर के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेगा. पिछले साल शीर्ष अदालत ने कहा कि अयोध्या में भूमि एक मंदिर के निर्माण के लिए सरकार द्वारा संचालित ट्रस्ट को दी जाएगी और मुसलमानों को एक नई मस्जिद बनाने के लिए शहर में पांच एकड़ का भूखंड दिया जाएगा.

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यह फैसला एक सदी पुरानी कानूनी अड़चन के बाद आया, जिस पर 16 वीं शताब्दी में एक बाबरी मस्जिद बनी थी, जो 6 दिसंबर 1992 को हिंदू कारसेवकों द्वारा गिराए जाने से पहले खड़ी थी. अतहर हुसैन ने बताया,नए मस्जिद परिसर का निर्माण अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा कि आईआईसीएफ, भारत-इस्लामी संस्कृति के लंबे इतिहास को प्रदर्शित करने और अतीत में दो समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को उजागर करने की योजना बना रहा है. हम अयोध्या जिला पंचायत के लिए चित्र (निर्माण की योजना) प्रस्तुत करेंगे और हमें जल्द ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है. निर्माण दो महीने के भीतर शुरू होने की संभावना है. 
 

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