यह ख़बर 25 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'प्यार के लिए नहीं दी जा सकती अपराधियों जैसी सजा'

खास बातें

  • राजधानी की एक अदालत ने एक लड़के को यह कहकर माफ कर दिया कि प्यार करने के लिए ऐसी सजा नहीं दी जा सकती जैसी कि दूसरे अपराधियों को दी जाती है।
New Delhi:

राजधानी की एक अदालत ने एक नाबालिग लड़की के बलात्कार और अपहरण मामले में मुकदमे का सामना कर रहे 22 वर्षीय एक लड़के को यह कहकर माफ कर दिया कि प्यार करने के लिए ऐसी सजा नहीं दी जा सकती जैसी कि दूसरे अपराधियों को दी जाती है। युवक को बलात्कार के आरोपों से बरी करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज बजाज चंदना ने उसे अपहरण के मामले में दोषी ठहराया और उसके द्वारा जेल में गुजारी गई तीन महीने की अवधि को इस जुर्म के लिए पर्याप्त सजा मानते हुए उसे माफ कर दिया। 15 वर्षीय एक लड़की को भगा ले जाने के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे जहांगीरपुरी निवासी संजय को माफ करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि यह स्पष्ट है कि प्रेम की भावना के चलते दोषी ने यह कदम उठाया, जहां वह लड़की के माता-पिता की मौजूदगी और सहमति की गरिमा का पालन करने में विफल रहा। न्यायाधीश ने कहा कि संजय युवा व्यक्ति है और अपना करियर तथा भविष्य बनाने की प्रक्रिया में है। मेरे ख्याल से उसे सलाखों के पीछे भेजने को कोई मकसद हल नहीं होगा, जहां वह खूंखार अपराधियों के साथ रहेगा। प्यार में पड़ जाने के लिए ऐसी सजा नहीं दी जा सकती, जैसी कि अन्य अपराधियों को दी जाती है। उन्होंने कहा कि संजय द्वारा जेल में गुजारी गई तीन महीने की अवधि उसे सबक सिखाने के लिए काफी है। अदालत ने संजय को इस आधार पर भी माफ कर दिया कि लड़की से उसके संबंधों को बाद में दोनों परिवारों ने रजामंदी दे दी।


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