"लव जिहाद" विरोधी कानून को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने आज गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने लव जिहाद कानून की कुछ धाराओं को लागू करने से रोक दिया है. गुजरात हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश में कहा कि इस कानून के प्रावधान उन पर लागू नहीं हो सकते हैं जिन्होंने अंतर-धार्मिक विवाह में बल या धोखाधड़ी का कोई सबूत नहीं दिखाया.
अदालत ने फैसला सुनाया कि वयस्कों के बीच स्वतंत्र सहमति और प्रलोभन या धोखाधड़ी के बिना अंतर-धार्मिक विवाह को "गैरकानूनी रूपांतरण के उद्देश्य से विवाह नहीं कहा जा सकता".
अदालत ने एक याचिका के जवाब में अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें 2021 के संशोधन को चुनौती दी गई थी, जिसे व्यक्तियों की पसंद और धर्म की स्वतंत्रता का उल्लंघन करने और व्यक्तियों की व्यक्तिगत स्वायत्तता पर हमला करने के रूप में देखा गया था.
अंतरिम आदेश द्वारा खारिज की गई धाराओं में से 6 ए है, जो कहती है कि धर्मांतरण के उद्देश्य से शादी के लिए मजबूर करने वालों को साबित करना होगा- एक खंड जो 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम का खंडन करता है, जिसमें कहा गया है कि सबूत का बोझ शिकायतकर्ता पर होता है.
हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से यह कहने से भी इनकार कर दिया कि अंतर-धार्मिक विवाहों के परिणामस्वरूप जबरन धर्मांतरण के मामले में हटाए गए प्रावधान लागू होंगे; अदालत ने केवल अपने मूल आदेश को रेखांकित किया.
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि धाराओं की गलत व्याख्या की जा रही है, और "केवल जो डराकर शादी करते हैं, वे डरते हैं".
गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम को अप्रैल में कई भाजपा शासित राज्यों में संशोधित किया गया था. इसकी शुरुआत असम (जहां अप्रैल-मई में चुनाव से पहले कानून की घोषणा की गई थी) में की गई फिर मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश (जहां अगले साल चुनाव होने वाले हैं) में भी इसे लाया गया, या समान कानून बनाने के इरादे की घोषणा की गई.
दिसंबर में, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा था कि "लव जिहाद जैसा कुछ भी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा". इससे पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, "उन लोगों को चेतावनी देने के लिए जो ... हमारी बहनों के सम्मान के साथ खेलते हैं." उन लोगों के लिए मैं.. "राम नाम सत्य" का आह्वान करता हूं.
ऐसे ही एक मामले में अदालत ने एक मुस्लिम व्यक्ति (उसके ससुर द्वारा अपनी बेटी को शादी के लिए मजबूर करने का आरोप) के खिलाफ प्राथमिकी रद्द कर दी और कहा कि महिला को "अपनी शर्तों पर जीवन जीने का अधिकार" है.
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"लव जिहाद" एक दक्षिणपंथी साजिश का सिद्धांत है कि मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को धर्म परिवर्तन के लिए बहकाते हैं. सिद्धांत आमतौर पर हिंदू पुरुषों और मुस्लिम महिलाओं के बीच संबंधों की उपेक्षा करता है.
शब्द केंद्र द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है; गृह मंत्रालय ने कहा है कि यह "कानून में परिभाषित नहीं है".
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