सोमवार से देशभर में धार्मिक स्थल खुल जाने हैं. इसके पहले शुक्रवार को पुरी के प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ के बारहवीं शताब्दी के मंदिर में स्नान पूर्णिमा के अवसर पर देव स्नान मनाया गया लेकिन इस दौरान लॉकडाउन में लागू सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं. देव स्नान की परंपरा के लिए यहां बड़ी संख्या में पुजारी जुटे और भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को देव स्नान कराया. वैसे तो लॉकडाउन के चलते यहां हमेशा की तरह भक्त नहीं जुट सके लेकिन पुजारियों के बीच भी कोई सोशल डिस्टेंसिंग नहीं देखी गई, न ही कोई मास्क पहने हुए नजर आया. अनुष्ठान पूरा करने के लिए बहुत कम संख्या में ही सेवादारों की जरूरत थी, लेकिन एक वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि बड़ी संख्या में पुजारी इकट्ठे होकर देवस्नान में हिस्सा ले रहे हैं. हां अनुष्ठान में शामिल होने से पहले इन सेवादारों की कोरोनावायरस जांच जरूर की गई थी.
ANI की न्यूज के अनुसार, शुक्रवार को पुरी के जगन्नाथ मंदिर में बहुत सारे पुजारी स्नान पूर्णिमा के मौके पर देव स्नान की रस्मों के लिए इकट्ठा हुए. कई सेवादारों को दैव प्रतिमाओं के आसपास भीड़ लगाते देखा गया. पुरी के जिलाधिकारी ने बताया कि इस बार इस त्योहार के मौके पर भक्तों को यहां आने की मनाही है.
#WATCH Snana Poornima festival of Lord Jagannath, Lord Balabhadra & Devi Subhadra being held at Shree Jagannath Temple of Puri today. DM Puri says, no devotees have been allowed at the festival. pic.twitter.com/0f5vCk4QTC
— ANI (@ANI) June 5, 2020
यह आयोजन प्रतिवर्ष रथयात्रा पर्व से पहले होता है. हर साल भगवान जगन्नाथ के मंदिर में स्नान पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. स्नान पूर्णिमा ज्येष्ठ मास की पहली पूर्णिमा को मनाई जाती है. इस दिन मंदिर में प्रतिष्ठित भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियों को गर्भगृह से निकालकर मंदिर में स्थित स्नान मंडप ले जाया जाता है, जहां उन्हें सुगंधित जल से स्नान कराया जाता है और फिर उनकी साज-सज्जा की जाती है.
कुछ सेवादारों ने प्रतिमाओं को तड़के एक बज कर 40 मिनट पर मुख्य मंदिर से बाहर निकाला. भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा, भगवान जगन्नाथ और भगवान सुदर्शन को मंदिर परिसर में ‘स्नान वेदी' पर बैठाया गया और उन्हें मंत्रोच्चार के साथ 108 घड़ों के सुगंधित जल से स्नान कराया गया. दैव प्रतिमाओं को स्नान कराने के लिए जिस कुएं से जल निकाला गया उसे गरबदु सेवादार ‘सोना कुआं' (स्वर्ण कुआं) कहते हैं. भगवान बलभद्र को 33 घड़ों के जल से स्नान कराया गया, भगवान जगन्नाथ को 35 घड़ों के जल से स्नान कराया गया, देवी सुभद्रा को 22 घड़ों के जल से और भगवान सुदर्शन को 18 घड़ों के जल से स्नान कराया गया. इस बार ‘हरि बोल' का उद्घोष करने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद नहीं थी.
इससे पहले पुरी के जिला कलक्टर बलवंत सिंह ने बताया था कि जिले मे गुरुवार को रात दस बजे से लेकर शनिवार दोपहर दो बजे तक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 लागू रहेगी. उन्होंने कहा था कि भगवान जगन्नाथ के मंदिर के पास लोगों को एकत्रित होने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस की टुकड़ियां तैनात की गई हैं. उन्होंने कहा था कि कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि भगवान जगन्नाथ के ‘स्नान पूर्णिमा' पर्व के दौरान में किसी भी श्रद्धालु को अनुमति नहीं दी जाएगी और सारे धार्मिक कार्य कुछ सेवादारों की उपस्थिति में ही संपन्न होंगे. केवल सेवादारों और मंदिर के अधिकारियों को ही मंदिर में जाने दिया जाएगा. श्रद्धालुओं के लिए टेलीविजन पर धार्मिक आयोजन का सीधा प्रसारण किया गया.
बता दें कि देश में 30 जून तक लॉकडाउन है लेकिन 8 जून यानी सोमवार से Unlock1 प्लान के तहत धार्मिक स्थलों को खोले जाने की अनुमति मिल गई है. ऐसे में देशभर के धार्मिक स्थलों पर इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है. ये देखना होगा कि अब कोरोनावायरस के दौर में धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं के जुटने को लेकर क्या नियम बनाए जाते हैं.
(भाषा से इनपुट के साथ)
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