यह ख़बर 17 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

लोकपाल बिल : सामी ने मांगा अन्ना से समर्थन

खास बातें

  • राज्यों और सहयोगियों एवं विपक्ष सहित राजनीतिक दलों की चिंताओं को दूर करने के प्रयास के तहत सरकार लोकपाल विधेयक से लोकायुक्त प्रावधान को अलग करने का फैसला कर सकती है।
नई दिल्ली:

राज्यों और सहयोगियों एवं विपक्ष सहित राजनीतिक दलों की चिंताओं को दूर करने के प्रयास के तहत सरकार लोकपाल विधेयक से लोकायुक्त प्रावधान को अलग करने का फैसला कर सकती है।

मुद्दे पर आम सहमति बनाने की खातिर प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने अन्ना हजारे को पत्र लिखकर उनका समर्थन मांगा है। इसमें कहा गया है कि सरकार का प्रस्ताव है कि राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए लोकपाल विधेयक में एक आदर्श कानून का प्रावधान होगा।

पत्र में हालांकि, इस बारे में अधिक ब्योरा नहीं दिया गया है कि क्या यह प्रावधान प्रवर समिति के समक्ष लोकपाल विधेयक में संशोधन के रूप में सुझाया गया है या इस पर सदन में चर्चा होगी। मंत्री ने जोर दिया कि सरकार संसद की भावनाओं के अनुरूप कानून को पारित करने के लिए कटिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक अब प्रवर समिति (राज्यसभा की) के पास है। सरकार आपके द्वारा उठाई गई तीन महत्वपूर्ण मांगों को शामिल करना चाहती है और जो सदन द्वारा पारित विधेयक की भावना में भी मौजूद है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘..हमने भी राज्यों के लिए :लोकायुक्तों के लिए: मजबूत लोकपाल विधेयक और आदर्श कानून प्रस्तावित किया है जो संविधान के संघीय ढांचे :पर अतिक्रमण: के संबंध में पक्षों की चिंताओं का समाधान करेगा।’’

नारायणसामी ने कहा कि सरकार पहले ही निम्न स्तर के नौकरशाहों को लोकपाल के दायरे में लाने का प्रस्ताव कर चुकी है, लेकिन इन मामलों को केंद्रीय सतर्कता आयोग और सीबीआई देखेगी।

लोकायुक्तों की नियुक्ति केंद्रीय कानून के तहत किए जाने के प्रावधान के खिलाफ सरकार के सहयोगियों एवं विपक्ष सहित राजनीतिक दलों की आपत्तियों के बाद लोकपाल विधेयक राज्यसभा में अटका पड़ा है। मंत्री ने भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सरकार की पहलों का भी उल्लेख किया है।

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पत्र में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उम्मीद करते हैं कि हजारे राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे के समाधान के लिए अपना समर्थन और सहयोग उपलब्ध कराएंगे।