भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर प्रावधानों वाले बहुचर्चित और दशकों से लंबित लोकपाल विधेयक संसद की आज मंजूरी मिल गई। राज्यसभा मंगलवार को कुछ संशोधनों के साथ इसे पारित कर चुकी है और लोकसभा ने भी आज उन संशोधनों को समाहित करते हुए संशोधित विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकपाल विधेयक पारित किए जाने को 'ऐतिहासिक और युगांतकारी कदम' करार दिया।
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एनडीटीवी से कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि लोकपाल बिल पास हो गया। इसका श्रेय उन सभी सांसदों को जाता है, जिन्होंने लोकपाल बिल पास करवाया।
लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक, 2011 दो साल से उच्च सदन में लंबित था, जिसे मंगलवार को राज्यसभा की मंजूरी मिलने के बाद लोकसभा ने भी आज उस पर अपनी मुहर लगा दी। सपा ने हालांकि इस विधेयक को देश हित के विरुद्ध करार देते हुए चर्चा के दौरान सदन से वाकआउट किया।
प्रधानमंत्री के पद कुछ सुरक्षा प्रावधानों के साथ इस कानून के दायरे में लाने के साथ लोकसभा ने विधेयक पर लाए गए सभी सरकारी संशोधनों को ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया।
लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी थी लेकिन राज्यसभा द्वारा नए सरकारी संशोधनों अपनाए जाने के कारण विधेयक पर निचले सदन आज दोबारा मंजूरी लेनी पड़ी।
गौरतलब है कि समाजसेवक अन्ना हजारे अपने गांव रालेगण सिद्धि में लोकपाल विधेयक संसद से पारित कराने की मांग पर अनशन कर रहे हैं। उन्होंने मौजूदा सरकारी लोकपाल विधेयक का पुरजोर समर्थन किया है। हजारे यह भी घोषणा कर चुके हैं कि मौजूदा विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद वह अपना अनशन खत्म कर देंगे।
भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सदन में आज लोकपाल की जोरदार वकालत की।
विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए राहुल ने कहा, उन्हें खुशी है कि 45 साल से जो नहीं हुआ, वह आज होने जा रहा है। इंदिरा गांधी के समय 1968 में ऐसा विधेयक लाने की शुरुआत हुई थी और आज इसे पारित करके हमें इतिहास बनाने का अवसर मिला है। उन्होंने शीतकालीन सत्र की अवधि और बढ़ाने की मांग की ताकि छह और विधेयक पारित किए जा सकें, जो भ्रष्टाचार रोधी व्यापक ढांचे के तहत हैं।
राहुल ने कहा कि लोकपाल विधेयक ही अकेले भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए काफी नहीं है। हमें भ्रष्टाचार रोधी व्यापक संहिता की आवश्यकता है। संप्रग सरकार ने भ्रष्टाचार रोधी ढांचा तैयार किया है।
उन्होंने कहा कि संप्रग ने आरटीआई लाकर भ्रष्टाचार पर पहली बड़ी चोट की थी। हमें सत्र संपन्न होने से पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अधूरे पड़े कार्य को पूरा करना चाहिए। भ्रष्टाचार रोधी छह विधेयक (4 लोकसभा में और 2 राज्यसभा में) लंबित हैं। आवश्यकता हो तो क्या हम इस सत्र की अवधि नहीं बढ़ा सकते।
राहुल ने कहा कि लोकपाल विधेयक इसी व्यापक ढांचे का हिस्सा है। भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन विधेयक, उत्पाद एवं सेवाओं की समयबद्ध आपूर्ति का नागरिकों का अधिकार, सार्वजनिक खरीद, विदेशी रिश्वत, न्यायिक जवाबदेही और व्हिसल ब्लोअर विधेयक लंबित हैं।
नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने विधेयक का समर्थन किया, लेकिन इसका श्रेय लेने के लिए कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि इस देश की जनता को जाना चाहिए और उस बूढ़े (अन्ना) को जाना चाहिए, जो भूखा होकर देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने की लड़ाई लड़ रहा है।
कांग्रेस की ओर से इस विधेयक को पारित कराने का श्रेय राहुल को दिए जाने के बीच उन्होंने कहा कि किसी को इसका श्रेय देने की होड़ में नहीं पड़ना चाहिए।
सुषमा ने दावा किया कि कांग्रेस इस विधेयक को लाने का श्रेय ले रही है, लेकिन हकीकत यह है कि इसने दबाव बनाने पर ही इस विधेयक को आगे बढ़ाया है और इसमें आवश्यक संशोधन किए। उन्होंने कहा कि शुरुआत में सरकार द्वारा लाया गया विधेयक बेहद कमजोर था और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में अक्षम था।
सुषमा ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि वर्तमान विधेयक अत्यंत सशक्त और प्रभावी है इसलिए वह इसका पुरजोर समर्थन करती हैं।
कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि पिछले दो साल के दौरान संसद के भीतर और बाहर इस विधेयक को लेकर चर्चा हुई है। लोकसभा ने विधेयक को दिसंबर 2011 में पारित कर दिया था।
उन्होंने आग्रह किया कि राज्यसभा द्वारा संशोधनों के साथ लौटाए गए इस विधेयक को निचला सदन पारित करे।
सपा और शिवसेना ने विधेयक का विरोध किया। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि इससे सरकारी कामकाज ठप पड़ जाएगा, क्योंकि सरकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी का निर्वाह करने में डरेंगे। इससे नौकरशाही में भय फैलेगा और कोई भी अधिकारी किसी दस्तावेज पर न तो फैसला करेगा और न ही दस्तखत करेगा।
यादव ने कहा कि कानून के मुताबिक, एक दरोगा प्रधानमंत्री की जांच करेगा। एक दरोगा वरिष्ठ राजनीतिकों और सरकारी कर्मचारियों से सवाल करने और उनकी जांच करने का अधिकार रखेगा। ये गंभीर मसला है। ‘‘हमें इस तरह के विधेयक की क्यों आवश्यकता है।’’ उन्होंने सदन में मौजूद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की ओर मुखातिब होते हुए इस विधेयक को आगे बढ़ाने से रोकने का आग्रह किया।
मुलायम ने कहा कि ये खतरनाक विधेयक है और इससे 10 साल पीछे की भी हमारी जांच होगी। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि सर्वोच्च होता है और अब एक दरोगा उस जन प्रतिनिधि की जांच करेगा।
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