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This Article is From May 31, 2015

सुमित्रा महाजन ने कहा, 'मेरा ध्यान विधायी कार्य पर, संसद कानून बनाने के लिए है'

सुमित्रा महाजन ने कहा, 'मेरा ध्यान विधायी कार्य पर, संसद कानून बनाने के लिए है'
नई दिल्ली: अतीत में सदन की कार्यवाही में पक्षपात करने संबंधी कांग्रेस के आरोप का सामना कर चुकीं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने रविवार को कहा कि अधिक से अधिक विधायी कार्य किए जाने पर उनके जोर देने को शायद विपक्ष ने गलत समझा है।

लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर अगले महीने अपना एक साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही सुमित्रा ने कहा, 'संसद कानून बनाने के लिए है। सरकार की रुचि इस बात को लेकर है कि कामकाज हो और सदन चले। विपक्ष शायद यह सोचता है कि मैं सरकार की मदद कर रही हूं, लेकिन ऐसा नहीं है।' कांग्रेस ने पिछले दिनों लोकसभा में अध्यक्ष के आसन की ओर से कथित तौर पर पक्षपात को लेकर चिंता जताई थी। यह आरोप उस वक्त लगाया गया जब सुमित्रा महाजन ने केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को अमेठी में फूड पार्क के रद्द होने पर 12 मई को सदन में बयान देने की इजाजत दी थी।

पार्टी ने सवाल किया कि कैसे सरकार को उस मुद्दे पर बार-बार बोलने की इजाजत दी जा रही है, जिस पर उसके कार्य स्थगन प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष ने खारिज कर दिया। सुमित्रा ने कहा कि अगर सांसद खुद को सिर्फ अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि नहीं समझें, बल्कि अपने को विधिनिर्माता के तौर पर देखें और देश की ओर से दी गई व्यापक जिम्मेदारी को समझें तो संसद अधिक सार्थक रूप से काम करेगी।

अपने समर्थकों के बीच स्नेह से 'ताई' कहकर पुकारी जाने वाली सुमित्रा ने कहा कि उनके एक साल के कार्यकाल के दौरान हाल के वर्षों में लोकसभा के भीतर सर्वाधिक संख्या में विधेयकों के पारित होने का रिकॉर्ड बनने से वह काफी संतुष्ट हैं।

सुमित्रा ने कहा, 'बहुत सारी उपलब्धियां हैं लेकिन वे सिर्फ मेरी नहीं बल्कि सभी पक्षों के सहयोग के साथ सामूहिक हैं।' उन्होंने अब सदन में कई तरीकों से चर्चा का स्तर उठाने की योजना बनाई है। इनमें एक 'सहयोग की व्यवस्था' बनाने की बात शामिल है जिससे सदस्यों को चर्चा में अधिक मजबूती और अध्ययन के साथ शामिल होने में मदद मिल सके।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह उस वक्त जरूरी है जब मौजूदा लोकसभा में रिकॉर्ड संख्या में नए सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से लोकसभा काम कर रही है और चर्चा हो रही है उस पर संतुष्टि प्रकट करते हुए उनको पत्र एवं ईमेल मिल रहे हैं।

सदस्यों के साथ अधिक तालमेल बनाने के क्रम में सुमित्रा ने युवा सदस्यों के साथ कई संवाद किए ताकि उनकी समस्याओं और चिंताओं को समझा जा सके तथा यह भी देखा जा सके कि वे अपनी जिम्मेदारियों को कितने अच्छे ढंग से निभाते हैं।

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