नई दिल्ली : ज़मीन अधिग्रहण बिल पर लोकसभा में आज वोटिंग होगी। सरकार की तमाम कोशिशों और बिल के पक्ष में दी गई दलीलों के बावजूद विपक्ष इस बिल के खिलाफ है। खबर है कि सरकार बिल में कुछ संशोधन करने पर विचार कर रही है। सरकार के तीन वरिष्ठ मंत्रियों वेंकैया नायडू, अरुण जेटली और वीरेंद्र सिंह ने बिल को लेकर विपक्षी नेताओं से बातचीत भी की है।
बिल पर केंद्र सरकार की और से नौ संशोधन लाए गए हैं-
-सोशल इंफ़्रास्ट्रक्चर को 'मंज़ूरी न लेने वाले सेक्टर' से बाहर किया जाएगा
-सिर्फ सरकारी संस्थाओं, निगमों के लिए ज़मीन का अधिग्रहण
-राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे लाइन के दोनों तरफ एक-एक किलोमीटर ज़मीन का अधिग्रहण संभव
- किसानों को अपने ज़िले में शिकायत या अपील का अधिकार
- इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के लिए सीमित ज़मीन का ही हो सकेगा अधिग्रहण
-बंजर ज़मीनों का अलग से रिकॉर्ड रखा जाएगा
- विस्थापित परिवार के कम से कम एक सदस्य को नौकरी
वहीं कांग्रेस ने फैसला किया है कि वो इस बिल का पुरज़ोर तरीक़े से विरोध करेगी। पार्टी की पार्लियामेंट्री अफेयर्स कमेटी की कल शाम हुई बैठक में तय किया गया कि कांग्रेस सरकार की तरफ से सुझाए जा रहे संशोधनों को भी नहीं मानेगी।
विपक्ष की तरफ से 50 से ज़्यादा संशोधन सुझाए गए हैं। सरकार इनमें से क़रीब आधा दर्जन संशोधनों के साथ आ सकती है। इनमें भूमि अधिग्रहण की सीमा स्पष्ट करने, इस पर आने वाले प्रोजेक्ट में किसानों को मुआवज़े के साथ हिस्सेदारी देने, मुआवज़े को लेकर किसी विवाद की सूरत में सुनवाई के लिए एक समिति बनाने जैसे संशोधन शामिल हैं। सरकार इस पर विपक्ष को मनाने के लिए बैठकें भी कर रही है। दरअसल वो ग़ैरकांग्रसी विपक्ष को साधने की कोशिश में जुटी है।
लेकिन कांग्रेस का मानना है कि इस तरह के संशोधनों के बावजूद यूपीए के पास किए कानून की आत्मा ख़त्म हो जाएगी। इसलिए वह सरकार से लोकसभा में इसे स्टैंडिग कमेटी में भेजने की मांग करेगी ताकि वहां सभी दलों से सलाह कर इस बिल को दुरुस्त किया जा सके। कांग्रेस इसके लिए तमाम विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में जुटी है। अगर सरकार नहीं मानी और लोकसभा में अपने बहुमत की ताक़त दिखाते हुए इसे पास कर दिया तो फिर कांग्रेस राज्यसभा में अपनी रणनीति के साथ तैयार है। वह इसे किसी भी क़ीमत पर पास नहीं होने देने की कोशिश करेगी।
राज्यसभा में कांग्रेस की मांग होगी कि इसे सलेक्ट कमेटी में भेजा जाए। लोकसभा के लिए जो स्टैंडिग कमेटी का काम है वही राज्यसभा में सलेक्ट कमेटी का। राज्यसभा में नंबर विपक्ष के साथ हैं। ऐसे में राज्यसभा में बिल का अटकना तय है। हालांकि बीजेपी विपक्षी एकता में फूट डालने के लिए अपनी तरफ से कुछ कोशिशें कर सकती है, लेकिन इस बिल का ऐसा किसान विरोधी इमेज बन गया है कि कोई भी विपक्षी दल इसके साथ खड़ा होने के पहले सौ बार सोचेगा।
उधर, केंद्र सरकार की सहयोगी शिवसेना ज़मीन अधिग्रहण बिल पर क्या रुख़ अपनाएगी अभी यह साफ़ नहीं है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे जैसा निर्देश देंगे, शिवसेना ज़मीन अधिग्रहण बिल पर वैसा ही रुख़ अपनाएगी। अब तक शिवसेना बिल को किसान विरोधी बताती रही है। अब देखना होगा कि आज वह अपनी सरकार का समर्थन करती है या उसके खिलाफ वोट करती है।
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