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This Article is From May 18, 2020

लॉकडाउन (Lockdown) और प्रवासी मजदूर : इस बार चुनाव में अपने नेता को ये 10 तस्वीरें जरूर दिखाना

Lockdown 4 Rules: कोरोना वायरस  की वजह से लॉकडाउन4 के दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं. लेकिन सरकारों की ओर से प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए कोई ठोस रणनीति अभी तक सामने नहीं आई है.

लॉकडाउन  (Lockdown) और प्रवासी मजदूर :  इस बार चुनाव में अपने नेता को ये 10 तस्वीरें जरूर दिखाना
Lockdown, Migrants worker Picture: सैकड़ों किलोमीटर की दूरी को पैदल ही तय कर रहे हैं मजदूर
नई दिल्ली:

Lockdown 4 Rules: कोरोना वायरस  की वजह से लॉकडाउन 4 के दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं.  जिसके मुताबिक देश भर में 31 मई तक देश भर में मेट्रो रेल सेवा, स्कूल, कॉलेज, होटल, रेस्तरां, सिनेमा हॉल, शॉपिंग मॉल, स्वीमिंग पूल, जिम आदि बंद रहेंगे. इस अवधि में सभी सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक रहेगी साथ ही सभी प्रार्थना और धार्मिक स्थल बंद रहेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के 20 लाख करोड़ के पैकेज का भी आवंटन हो चुका है, इस बीच कांग्रेस के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कुछ प्रवासी मजदूरों से उनकी समस्याएं भी जान आए हैं. लेकिन सरकारों की ओर से प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए कोई ठोस रणनीति अभी तक सामने नहीं आई है. हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि वह राज्यों की मांग पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला रही है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि उसमें भी आपसी तालमेल का अभाव है. दूसरा श्रमिक स्पेशल ट्रेन में बैठने के लिए जो नियम बनाए गए हैं वह भी प्रैक्टली काफी कठिन हैं. जैसे अगर आपको मुंबई से बिहार के किसी जिले जाना है तो आपके साथ-साथ उस जिले तक जाने के लिए कम से कम 25-20 लोग होने चाहिए नहीं तो आपके लिए टिकट मुश्किल हो सकता है. दूसरी ओर इन ट्रेनों में टिकट को लेकर भी काफी मुश्किल हो रही थी. पहले तो यह तय नहीं था कि मजदूरों से इसका किराया लिया जाएगा या नहीं. शुरुआत में टिकट के पैसे मजदूरों से ही वसूले गए. लेकिन जब विरोध हुआ तो केंद्र सरकार ने सफाई दी कि 85 फीसदी सब्सिडी उसकी ओर से पहले ही दी जा रही है 15 फीसदी राज्यों को देना है. 

 (बस एक मुट्ठी चावल खाया है....दूध नहीं उतर रहा है....बेटी को कैसे पिलाऊं..महक की ये दास्तान जब NDTV ने दिखाई तो उस तक मदद पहुंचाई गई

 एक सच्चाई यह भी है कि प्रवासी मजदूरों की संख्या लाखों में है जो मुंबई, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक और तमाम जगहों से वापस आना चाहते हैं. जबकि रेल में तमाम नियमों और कानूनों का पालन करने के बाद भी 1200 से यात्री एक ट्रेन में नहीं बैठ सकते हैं. 

ऐसे में उन मजदूरों का सब्र टूट रहा है जिनकी रोजी-रोटी छिन गई है और बीते दो महीने में सारी बचत भी खर्च हो गई है. घर लौटने के सिवाए कोई रास्ता नहीं है. उन हालात में उन ये लोग पैदल, ट्र्रक, साइकिल या जैसे भी उनको समझ में आ रहा है वे घरों की ओर जा रहे हैं. 

कोरोना वायरस और Lockdown से मजदूरों की जंग :  'अमर' हो गई याकूब और अमृत की दोस्ती

(कोरोना वायरस के संकट के बीच अमृत और याकूब की दोस्ती अमर हो गई, रास्ते में पैदल चलते अमर की हालत खराब हो गई और उसने दम तोड़ दिया)

इन मजदूरों में ज्यादातर, यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और झारखंड के मजदूर शामिल हैं. सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर रहे इन मजदूरों के साथ जिंदगी की सच्चाइयों की कुछ कहानियां भी चल रही हैं.

सवाल यहां सिर्फ किसी एक सरकार या पार्टी का नहीं है. उन नेताओं से है जो खुद को जमीन से जुड़े नेता कहते हैं. बातें सिर्फ सोशल मीडिया पर हो रही हैं....बड़े-बड़े नेता ट्वीट कर रहे हैं. लेकिन न स्थानीय स्तर पर न तो विधायकों की ओर से कोई पहल दिख रही है और न सांसद दिखाए दे रहे  हैं.

Lockdown: दिल्ली-हावड़ा हाईवे पर मजबूर मजदूरों की मदद करने वालों की तादाद उनसे ज्यादा

चुनाव के समय बड़ी-बड़ी रैलियों में लगने वाली पार्टियों की मशीनरी भी पूरी तरह से गायब है. अगर पार्टियां चाहें तो स्थानीय प्रशासन का सहयोग कर सकती हैं. लेकिन राजनीतिक मशीनरी जो साल साल भर तू-तू, मैं-मैं करती है इस समय पूरी तरह से गायब दिख रही है. 

तेंदुए के पीछे-पीछे प्रवासी मजदूर सड़क पार करते नजर आ रहे हैं
हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें तेंदुए के पीछे-पीछे प्रवासी मजदूर सड़क पार करते नजर आ रहे हैं.

प्रवासी मजदूरों ने तेंदुए के साथ किया रास्ता पार, बॉलीवुड डायरेक्टर बोलीं- इंसान को जानवरों ने नहीं बल्कि...

गुड़गांव से भागलपुर के लिए परिवार संग रिक्शे पर निकले, पता नहीं कब घर पहुंचेंगे?
गुड़गांव से बिहार का सफर पूरा करने निकले अजीत भी नजर आए. जोकि पैडल वाले रिक्शा से हजारों किलोमीटर का सफर परिवार के साथ पूरा करने निकले हैं. उन्होंने NDTV को बताया कि वो गुड़गांव से बिहार के भागलपुर जा रहे हैं. सरकार द्वारा चलाई जा रही ट्रेनों के लिए रजिस्ट्रेशन भी करवाए थे लेकिन जब पुलिस के पास गए तो उन्हें भगा दिया गया

घंटों तक बस का इंतजार करने के बाद बैग को बिस्तर समझ उसी पर सोता हुआ नजर आया मासूम
सरकार की ओर से कह दिया गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग रखिए लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. राज्यों की सीमाओं पर लोग इंतजार में हैं कि कब उनके घर जाने के लिए कोई बस आएगी या सरकार की ओर से कोई इंतजाम किया जाएगा. 

लॉकडाउन के बीच मजदूरों की मजबूरी: जिगर के टुकड़े को सूटकेस पर सुलाया, और सड़क पर घसीटते हुए घर को चली मां
 सूटकेस को सड़क पर घसीट रही महिला के लिए बेटे के सोने से वजन दोगुना हो गया. लेकिन इससे महिला की रफ्तार धीमी नहीं होती है. वह महिला उत्तर प्रदेश के आगरा से होते हुए अपने घर जा रहे मजदूरों के समूह के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है. जब रिपोर्टर ने महिला से पूछा कि कहां जा रहे हो तो मां ने कहा 'झांसी'.लॉकडाउन के बीच मजदूरों की मजबूरी: जिगर के टुकड़े को सूटकेस पर सुलाया, और सड़क पर घसीटते हुए घर को चली मां

रास्ते में बनाई लकड़ी से गाड़ी, 8 महीने की गर्भवती बीवी और बेटी को 800 KM खींचकर लाया मजदूर
प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की इससे मार्मिक तस्वीर शायद पहले देखने में ना आई हो. बालाघाट का एक मजदूर जो कि हैदराबाद में नौकरी करता था, 800 किलोमीटर दूर से एक हाथ से बनी लकड़ी की गाड़ी में बैठा कर अपनी 8 माह की गर्भवती पत्नी के साथ अपनी 2 साल की बेटी को लेकर गाड़ी खींचता हुआ बालाघाट पहुंच गया

लॉकडाउन में लाचारी : रास्ते में बनाई लकड़ी से गाड़ी, 8 महीने की गर्भवती बीवी और बेटी को 800 KM खींचकर लाया मजदूर

लॉकडाउन के बीच सात महीने की प्रेग्नेंट महिला गांव पहुंचने के लिए पैदल निकली सैकड़ों KM के सफर पर
मुंबई के सांताक्रूज से लोग बुधवार तड़के 3 बजे साइकिल से अपने 'मुश्किल मिशन' पर रवाना हुए. निकले, इन्‍हें अपने गंतव्य तक पहुंचने में कई दिन लग जाएंगे. करीब 20 लोगों के एक ग्रुप भी नवी मुंबई के घनसोली से महाराष्ट्र के बुलडाना में अपने गांव तक पैदल जा रहा है. इस ग्रुप में में छोटे बच्चे और सात महीने की गर्भवती महिला शामिल है. 

लॉकडाउन के बीच सात महीने की प्रेग्नेंट महिला गांव पहुंचने के लिए पैदल निकली सैकड़ों KM के सफर पर

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