Bihar Lockdown: बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने साफ कर दिया है कि जब तक केंद्र सरकार द्वारा एक राज्य से दूसरे राज्य में लोगों के आने जाने पर प्रतिबंध है तब तक वह किसी को वापस लाने में असमर्थ है. इसलिए बिहार सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी पहले की अधिसूचना में संशोधन करने का आग्रह किया है जिससे कि इस मुद्दे पर विवाद का समाधान हो सके.
इस मुद्दे पर पटना हाईकोर्ट में भी याचिका पर सुनवाई चल रही है जहां केंद्र और राज्य सरकार को सोमवार को जवाब देना है. इस सम्बंध में फिलहाल केंद्रीय गृह मंत्रालय और बिहार सरकार में विचार विमर्श चल रहा है, जिसके दौरान बिहार सरकार के आला अधिकारियों ने उक्त बात रखी. दरअसल बिहार इस बात का बिल्कुल भी पक्षधर नहीं कि अन्य राज्यों की तरह वह भी बस भेजकर, चाहे कोटा हो या अन्य शहर, फ़िलहाल छात्रों, मज़दूरों को वहां से निकाले, क्योंकि केंद्र ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है.
हालांकि सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस होगी जिसमें बिहार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों द्वारा प्रवासी लोगों की निकासी का मुद्दा छाया रहेगा. इस मुद्दे पर विपक्ष हर दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेर रहा है.
शनिवार को भी विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक बयान में कहा कि हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, यूपी, गुजरात, दादरा एवं नगर हवेली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सुदूर असम सहित सभी राज्यों ने अपने छात्रों को कोटा से वापस बुला लिया है लेकिन नीतीश कुमार जी को पता नहीं बिहार के भविष्य मासूम छात्र-छात्राओं से क्या नफ़रत है? क्या सिर्फ़ नीतीश जी को छोड़ बाक़ी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अपने प्रदेश वासियों की फ़िक्र नहीं है, या वो कम विवेकशील हैं? क्या उन प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को कोरोना की चिंता नहीं है? जब 25 हज़ार छात्र कोटा से वापस अपने घरों को जा सकते हैं तो बिहार के क्यों नहीं?
तेजस्वी ने कहा है कि माननीय मुख्यमंत्री जी से पुन: आग्रह है कि अभी भी वक्त है छात्रों को वापस बुला लीजिए. अगर सरकार उन्हें वापस बुलाने में बिल्कुल असमर्थ और असहाय है तो कृपया मुझे अनुमति दीजिए हम लेकर आएंगे. सर्वविदित है कि भाजपा नीत बिहार सरकार पूर्णतः अक्षम है, फिर इसमें शर्म की क्या बात है? 17 लाख बिहारी बाहर हैं, खाली खबरों की सर्जरी करने से छात्र और मज़दूर वापस नहीं आएंगे. उनके लिए पहल कर संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से वार्ता करनी होगी. रास्ता निकालना होगा. इसलिए अभी भी समय है, कुछ कीजिए.
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