नई दिल्ली:
कोयला आवंटन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। मंगलवार को लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने मांग की थी कि केन्द्र सरकार तत्काल 2006 से 2009 के बीच आवंटित किए गए सभी कोल ब्लॉक को रद्द करे, लेकिन बुधवार को कोयला मंत्री ने सुषमा की मांग को सिरे से खारिज कर दिया।
एनडीटीवी से बात करते हुए श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि कोल ब्लॉक का आवंटन एक नीतिगत फैसला था जिसे विपक्ष की मांग पर सरकार रद्द नहीं करेगी। जायसवाल ने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच चल रही है और जांच में अगर गड़बड़ियों और खामियों की बात साबित होती है तो सरकार दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करेगी।
उधर, आरोप−प्रत्यारोप का दौर बुधवार को भी जारी रहा। सरकार की जानी−पहचानी सफाई जारी रही है कि सारे आवंटन का फैसला स्क्रीनिंग कमेटियों के जरिये हुआ है जिसमें राज्य सरकारों के भी नुमाइंदे रहे हैं। लेकिन, बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावेडकर ने बुधवार को यह आरोप लगाया कि स्क्रीनिंग कमेटी महज एक दिखावा था और उसकी आड़ में सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर कोल ब्लॉक का आवंटन किया।
जवाब में कोयला मंत्री ने कहा कि बीजेपी का आरोप हास्यास्पद है और यह पॉलिटिकल गिमिक के अलावा और कुछ नहीं है।
अब सबकी नज़र उन कंपनियों पर है जिन्हें ये लाइसेंस मिले। अगला सवाल यही है क्या लाइसेंस बांटने के मामले में अलग−अलग नेताओं और दलों के खिलाफ़ सबूत मिल रहे हैं।
एनडीटीवी से बात करते हुए श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि कोल ब्लॉक का आवंटन एक नीतिगत फैसला था जिसे विपक्ष की मांग पर सरकार रद्द नहीं करेगी। जायसवाल ने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच चल रही है और जांच में अगर गड़बड़ियों और खामियों की बात साबित होती है तो सरकार दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करेगी।
उधर, आरोप−प्रत्यारोप का दौर बुधवार को भी जारी रहा। सरकार की जानी−पहचानी सफाई जारी रही है कि सारे आवंटन का फैसला स्क्रीनिंग कमेटियों के जरिये हुआ है जिसमें राज्य सरकारों के भी नुमाइंदे रहे हैं। लेकिन, बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावेडकर ने बुधवार को यह आरोप लगाया कि स्क्रीनिंग कमेटी महज एक दिखावा था और उसकी आड़ में सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर कोल ब्लॉक का आवंटन किया।
जवाब में कोयला मंत्री ने कहा कि बीजेपी का आरोप हास्यास्पद है और यह पॉलिटिकल गिमिक के अलावा और कुछ नहीं है।
अब सबकी नज़र उन कंपनियों पर है जिन्हें ये लाइसेंस मिले। अगला सवाल यही है क्या लाइसेंस बांटने के मामले में अलग−अलग नेताओं और दलों के खिलाफ़ सबूत मिल रहे हैं।
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