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This Article is From Apr 10, 2016

जानिए आखिर क्या है भूकंप के आने की वजह...

जानिए आखिर क्या है भूकंप के आने की वजह...
इस साल अप्रेल में भूकंप ने नेपाल में कई लोगों की जान ले ली थी (फाइल फोटो)
काफी समय से भारतीय उपमहाद्वीप भूकंप का केंद्र बना हुआ है। आज यानि 10 अप्रैल को पाकिस्तान में जोरदार भूकंप आया, इसके साथ ही अफगानिस्तान और भारत में दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत तक इसके झटके महसूस किए गए। इससे पहले 26 अक्टूबर, 2015 को उत्तर भारत में भूकंप के तेज़ झटके महसूस किए गए थे, जिसका केंद्र अफगानिस्‍तान के जरम शहर के पास जमीन से 190 किलोमीटर नीचे था। इसकी तीव्रता रिक्‍टर स्‍केल पर 7.5 आंकी गई थी, वहीं अप्रैल, 2015 में नेपाल में आए भूकंप में तो काफी जानमाल का नुकसान हुआ था। आइए जानते हैं भूकंप आने की मुख्य वजह के बारे में-

भूकंप से इस तरह लगातार सामना होने पर इसके पीछे की वजह जानना ज़रूरी हो जाता है। दरअसल विशेषज्ञों का कहना है कि हमारी पृथ्वी के अंदर 7 तरह की प्लेट्स हैं जो लगातार घूम रही होती हैं। ऐसे में जब कभी ये प्लेट्स ज्यादा टकरा जाती हैं, उसे जोन फॉल्ट लाइन कहा जात है। यही नहीं ज्यादा दबाव बनने पर प्लेट्स टूटने लगती हैं और नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। पृथ्वी के नीचे इस उथलपुथल का नतीजा ही भूकंप के रूप में नज़र आता है।

पैमाना है रिक्टर स्केल

भूकंप कितना तीव्र है इसका अंदाज़ा रिक्टर स्केल से लगाया जाता है। यानि 6 से कम रिक्टर स्केल के भूकंप को तेज़ नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उसमें हल्का कंपन महसूस होता है, वहीं 7 से 9 के बीच रिक्टर स्केल पर कई बार इमारतों के गिरने से लेकर समुद्री तूफान के आने तक का खतरा हो सकता है। वहीं जब भूकंप 9 से ऊपर के रिक्टर स्केल पर आता है तो अपने साथ भारी तबाही लेकर आता है।

बता दें कि रिक्टर स्केल पर तीव्रता में हर एक अंक कम होने का मतलब है कि बड़े भूकंप से 30 प्रतिशत कम उर्जा का मुक्त होना लेकिन जब इमारतें पहले से ही जर्जर होती हैं तो एक छोटे से छोटा झटका भी किसी ढांचे को ढहाने के लिए काफी होता है।

हिमालय पर दबाव

हालांकि अभी दुनिया में कोई भी वैज्ञानिक ये अंदाजा नहीं लगा सकता है कि दुनिया में कैसा और कितना तेज़ी से भूकंप आएगा, लेकिन जानकार यह जरूर मानते हैं कि हिमालयी क्षेत्र में बड़ा भूकंप आने की आशंका है। इस साल अप्रेल में नेपाल में आया भूकंप भी इसी का उदाहरण है।

वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि भारत और तिब्बत एक दूसरे की तरफ़ प्रति वर्ष दो सेंटीमीटर की गति से सरक रहे हैं और यही वजह है कि हिमालय क्षेत्र पर दबाव बढ़ रहा है। यही वजह है कि पिछले 200 वर्षों में हिमालय क्षेत्र में छह से भी ज्यादा बड़े भूकंप आ चुके हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि इस दबाव को कम करने के लिए प्रकृति के पास भूकंप का ही जरिया बचता है।

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