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This Article is From Mar 17, 2015

गोकशी पर पाबंदी का महाराष्‍ट्र के चमड़ा उद्योग पर असर

गोकशी पर पाबंदी का महाराष्‍ट्र के चमड़ा उद्योग पर असर
मुंबई:

महाराष्ट्र में गोकशी पर पाबंदी का असर सिर्फ मटन व्यवसाय पर नहीं, चमड़ा उद्योग पर भी दिखने लगा है। चमड़ा उद्योग से जुड़े लोगों की मानें तो पखवाड़े भर में ही उनका व्यापार 25 फिसदी कम हो गया है। अगर आलम यही रहा तो चीन का चमड़ा कारोबार देश में अपनी पकड़ मज़बूत कर लेगा।

19 साल से लंबित गोवंश हत्या प्रतिबंध कानून महाराष्ट्र राज्य मे लागू होने से देवनार सरकारी कत्लखाने के कसाई नाराज हैं। उन्होंने बैल के साथ-साथ बाकी जानवरो को काटना भी बंद कर दिया है। नतीजा इसका असर मुंबई में धारावी के चमड़ा कारोबार पर भी पड़ना शुरू हो गया है। कारखानों की कुछ यूनिट में तो ताला लगाने तक की नौबत आ गयी है।

कच्चे चमड़े की धुलाई के बाद उसे चमक देने का काम करने वाले बालकृष्ण पॉल का कहना है कि उनके पास कच्चा माल आना बहुत कम हो गया है, नतीजा एक युनि‍ट में ताला लगाना पड़ रहा है। चमड़े के जैकेट बनाने वाले कारखाने के मालिक मो. खुर्शीद शेख का कहना था कि हड़ताल की वजह से चमड़े की आवक कम हो गई है। इसका असर ये हुआ है कि जहां 10-10 मजदूर काम करते थे, अब 4 या 5 को ही काम मिल पाता है।

धारावी में चमड़ा उद्योग के बड़े व्यवसायी सुरेश गजाकोश का कहना है कि अगर यही आलम रहा तो उन जैसे व्यापारियों की हालत भी किसानों जैसी हो जाएगी। 25 फिसदी काम कम हो गया है, असर कारखाना मालिक से लेकर मजदूर, दुकानदार और खरीददार सब पर है। गजाकोश के मुताबिक चीन के सिंथेटिक मटेरियल की मार झेल रहा देशी चमड़ा उघोग इस पाबंदी से और भी खतरे में आ जाएगा।

बात सिर्फ धारावी चमड़ा उद्योग की नही, कोल्हापुरी चप्पल के भविष्य पर भी खतरा पैदा हो गया है। अमूमन बैल के चमड़े से बनने वाली ये चप्पलें विदेशों में भी मशहूर हैं। तकरीबन 5 हजार परिवार कोल्हापुरी चप्पल व्यवसाय से जुड़े हैं। लेकिन अब उन्हें भी भविष्य की चिंता सताने लगी है। कोल्हापूर चप्पल के व्यापारी भुपाल शेट्टे कहते हैं कि सरकार ने पाबंदी लगाने के पहले हमारे बारे में कुछ नहीं सोचा।

जानकारों की मानें तो मुंबई और महाराष्ट्र में चमड़े का तकरीबन 400 करोड़ का कारोबार है और लाखों लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं। कसाई, मटन बेचने वालों के बाद इसका असर चमड़ा प्रोसेसिंग करने वाले और उसका सामान बेचने वालों पर पड़ रहा है। खुद राज्य सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान होगा। यानी इस पाबंदी से फायदा कम नुकसान ज्यादा दिख रहा है।

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