लखीमपुर केस : अपराध गंभीर, लेकिन मंत्री के बेटे के मामले में 'फ्लाइट रिस्क' नहीं - SC में बोली UP सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने चिट्ठी पर यूपी सरकार से जवाब मांगा था. कोर्ट ने पूछा था कि आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की अपील को लेकर यूपी सरकार का क्या रुख है ?

नई दिल्ली:

लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri case) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज सुनवाई हुई. कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है. CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की स्पेशल बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की. SIT की निगरानी कर रहे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की अपील करने की सिफारिश की थी. जज ने यूपी सरकार को चिट्ठी लिखी है. सुप्रीम कोर्ट ने चिट्ठी पर यूपी सरकार से जवाब मांगा था. कोर्ट ने पूछा था कि आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की अपील को लेकर यूपी का क्या रुख है ? SC ने पंजाब और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस राकेश कुमार जैन की चिट्ठी को राज्य सरकार और याचिकाकर्ता को देने को कहा था.

यूपी के लिए वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि हमने राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी है कि क्या एसएलपी दाखिल करनी है? CJI रमना ने यूपी सरकार को कहा कि हम आपको मजबूर नहीं कर सकते. चिट्ठी लिखे जाने पर आपने कोई जवाब नहीं दिया. यह कोई ऐसा मामला नहीं है जहां आपको महीने या सालों का इंतजार करना पड़े.

यूपी सरकार ने कहा कि हमारा स्टैंड वही है. हमने पहले ही अपनी स्थिति पर एक हलफनामा दायर किया था. हमने हाईकोर्ट में भी जमानत का विरोध किया था. हमारा रुख नहीं बदलेगा. राज्य सरकार ने गवाहों व्यापक सुरक्षा प्रदान की है. गवाहों के लिए कोई खतरा नहीं है. वे कह रहे हैं कि हमें अपील दायर करनी चाहिए क्योंकि वे आरोपी गवाहों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं. हमने गवाहों से संपर्क किया है. उन्होंने कहा कि कोई खतरा नहीं है.

याचिकाकर्ता पीड़ित परिवारों के लिए दुष्यंत दवे ने कहा कि इलाहाबाद HC के जमानत देने के फैसले को रद्द किया जाए. हाईकोर्ट प्रासंगिक तथ्यों पर विचार करने में विफल रहा. फैसला देते समय विवेक का इस्तेमाल नहीं किया गया. फैसला उस एफआईआर पर ध्यान नहीं देता है जो कार से  कुचलने की बात करती है. हाईकोर्ट केवल यह कहता है कि कोई गोली नहीं लगी है.

CJI ने कहा कि जज पोस्टमॉर्टम आदि में कैसे जा सकते हैं?  हम जमानत के मामले की सुनवाई कर रहे हैं, हम इसे लंबा नहीं करना चाहते. प्रथम दृष्टया सवाल यह है कि जमानत रद्द करने की जरूरत है या नहीं.  कौन सी कार थी, पोस्टमॉर्टम आदि जैसे बकवास सवालों पर सुनवाई नही करना चाहते ?

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए  हैं. सीजेआई ने कहा कि जमानत के सवाल के लिए गुण-दोष और चोट आदि में जाने का तरीका गैर जरूर है. मौत गोली से हुई या कार के कुचलने से ये सब बकवास है. ये सब जमानत का आधार नहीं हो सकता. खासकर जब ट्रायल शुरू ना हुआ हो 

दवे ने कहा कि जब उन्होंने जल्दबाजी और लापरवाही से कार चलाई तो गोली की चोट के सवाल पर विचार करने में हाईकोर्ट गलत था. जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्या पीड़ितों की सुनवाई HC में हुई? दवे  नहीं. HC ने गवाहों के बयानों की अनदेखी की. इस बात को नजरअंदाज किया कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया था. एक हत्या के मामले में  HC केवल यह कहकर जमानत कैसे दे सकता है कि चार्जशीट पहले ही दायर की जा चुकी है. दवे ने कहा कि SIT द्वारा दिए गए मौखिक सबूत, सामग्री सबूत, दस्तावेजी सबूतों और वैज्ञानिक सबूतों पर हाईकोर्ट ने विचार नहीं किया.

दवे ने कहा कि जमानत देने के सभी सामान्य सिद्धांतों को हाईकोर्ट ने  पूरी तरह से नजरअंदाज किया. 200 से अधिक गवाहों के बयान लिए गए. वीडियो भी मिले हैं. एसआईटी  द्वारा व्यापक जांच की जा रही है. उस सब को इलाहाबाद HC ने नजरअंदाज किया. घटना से कुछ दिन पहले आशीष मिश्रा के पिता की किसानों को खुली धमकियों के बारे में बताए गए तथ्यों को नज़रअंदाज किया गया. SIT द्वारा दिए गए मौखिक सबूत, सामग्री सबूत, दस्तावेजी सबूतों और वैज्ञानिक सबूतों पर हाईकोर्ट ने विचार नहीं किया.  ये मामला जमानत देने का नहीं है. आशीष मिश्रा की जमानत रद्द की जाए. हत्या की असली मंशा थी. SIT ने पाया कि सब कुछ पहले से सोचा समझा गया गया था. जमानत रद्द करने के लिए यह एक उपयुक्त मामला है.

आशीष के वकील रंजीत कुमार ने कहा कि पुलिस को किसानों की तरफ से दी गई रिपोर्ट में ही कहा गया है कि गोली से एक किसान मरा. तभी हाईकोर्ट ने गोली न चलने की बात कही. लोगों ने यह भी कहा कि आशीष गन्ने के खेत में भाग गया. घटनास्थल पर गन्ने का खेत था ही नहीं, धान का था. HC ने गोली की चोट पर विचार किया क्योंकि FIR में कहा गया है कि एक व्यक्ति गोली लगने से मरा था. हमें यह भी याद रखने की जरूरत है कि मंत्री को कुश्ती प्रतियोगिता के लिए हेलीकॉप्टर से आना था. प्रदर्शनकारियों ने हेलीकॉप्टर को उतरने नहीं दिया.

CJI ने कहा कि आप कहते हैं कि रास्ता बदल दिया गया था क्योंकि यह प्रत्याशित था कि लोग विरोध करेंगे, लेकिन हम हेलीकॉप्टर आदि में नहीं जा रहे हैं. हम कह रहे हैं कि जमानत के चरण में हाईकोर्ट कैसे चोट आदि में जा सकता है. रंजीत कुमार ने कहा कि आप केस वापस HC को भेज सकते हैं. CJI ने कहा कि हम तय करेंगे कि क्या करना है, अगर मुझे जमानत नहीं मिली तो मैं कहां से लाऊंगा, मैं कब तक सलाखों के पीछे रहूंगा ?

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि आपको घटना के बाद जमानत अर्जी दाखिल करने की क्या जल्दी थी ? रंजीत कुमार 
ने कहा कि आशीष मिश्रा उस समय गाड़ी में नहीं था. एक जगह से दूसरी जगह इतनी जल्दी पहुंचना संभव नहीं है. यदि आप जमानत रद्द करते हैं तो कोई अन्य अदालत इसे नहीं छुएगी.  CJI ने कहा कि आपको जमानत पर बहस करनी चाहिए, मामले की मेरिट के आधार पर नहीं. क्या सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए? लोगों को आजीवन जमानत मिलनी चाहिए?

यूपी सरकार ने कहा कि ये गंभीर किस्म का अपराध है. यूपी सरकार की ओर से महेश जेठमलानी ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है, जिसमें चार- पांच लोगों कि जान गई. हमने जमानत नहीं देने कि मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट का इस मामले में विचार कुछ और था. अपील पर हमारा रुख अभी भी वही है जो पहले दायर किए गए हमारे हलफनामे के समान है. वाहन के कुचलने से लोगों की मौत हुई. मुद्दा गोली से चोट का नहीं है. अपराध की निंदा करने के लिए पर्याप्त शब्द नहीं हैं. अपराध की मंशा एक सूक्ष्म मामला है, केवल ट्रायल चरण में ही चर्चा की जा सकती है. इस मुद्दे पर मिनी ट्रायल नहीं चलाया जा सकता. आशीष मिश्रा के बारे में फ्लाइट रिस्क नहीं है. आशीष मिश्रा गवाहों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता, हमने  हर गवाह को  सुरक्षा प्रदान की है, हमने जमानत का पुरजोर विरोध किया था.

सीजेआई ने यूपी सरकार से फिर सवाल पूछा कि हमने जांच के लिए SIT का गठन किया था. ऐसी विकट स्थिति उत्पन्न हो गई थी. हमने सोचा था कि राज्य SIT के अपील दायर करने के सुझाव पर कार्रवाई करेगा. हम आपको अपील करने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं. आपका स्टैंड क्या है?
 
जेठमलानी ने कहा कि ये एक गंभीर अपराध था, लेकिन ये कहना कि  ये जानबूझकर किया गया था या नहीं, यह ट्रायल का विषय है, लेकिन SIT ने यह कारण बताया कि वह एक प्रभावशाली मंत्री के बेटे हैं और गवाहों को धमकाया जा सकता है.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

जेठमलानी ने कहा कि अगर आशीष मिश्रा आदतन अपराधी होते तो जमानत नहीं दी जानी चाहिए थी. जेठमलानी ने कहा कि SIT की चिट्ठी के बाद सरकार ने गवाहों से संपर्क किया. उन्होंने बताया है कि कोई खतरा नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने कहा कि मामले से जुड़े सभी गवाहों को पूरी सुरक्षा दी जा रही है. यूपी सरकार सभी गवाहो से फोन के साथ सभी गवाहों से पर्सनल लेवल से बातचीत करते हैं कि उन्हें किसी प्रकार से कोई धमकी तो नही मिल रही है..