भारत और चीन के बीच आज एक बार फिर कोर कमांडर स्तर की बातचीत शुरू हो गई है. पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के मध्य भारी तनाव के बीच समाधान के लिए कोशिशें जारी हैं. भारतीय सेना ने कड़ा रुख अपनाते हुए इससे पहले की बैठकों में यह मांग की है कि दो मई से पहले की स्थिति सरहद पर बहाल हो. आज की बैठक में 22 जून को कोर कमांडर स्तर की दूसरी दौर की बातचीत के बिन्दुओं का जायजा लिया जाएगा.
इससे पहले, कमांडर स्तर की पहली दो बैठकें छह और 22 जून को चुशूल के सामने चीन के इलाके मोल्डो में हुई थी. आज की बैठक में दोनों पक्ष अपनी-अपनी तरफ से उठाए गए कदमों के बारे में एक-दूसरे को जानकारी देंगे. इसके बाद एलएसी के उन स्थानों पर बने तनाव को लेकर चर्चा होगी जहां दोनों पक्षों में विवाद और गतिरोध बना हुआ है.
बताया जा रहा है कि चीन ने छह जून को कोर कमांडर स्तर की पहली वार्ता में बनी सहमति के मसलों का पालन नहीं किया था, जिस पर भारत ज़ोर दे रहा है. समझौते से पलटने के कारण ही गलवान घाटी में 15 जून को दोनों सेनाओं के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. इसमें भारत के 20 जवानों ने सरहद की हिफाजत करते हुए अपनी कुर्बानी दे दी. वहीं चीन के 45 सैनिक मारे गए.
कमांडर स्तर की दूसरे दौर की वार्ता के बाद भी विदेश मंत्रालय ने भी एलएसी पर तनाव घटाने के लिए 6 जून की वार्ता पर अमल करने की बात स्पष्ट कर दी थी. भारत ने चीन को दो टूक संदेश दे दिया है कि सेना के जमावड़े के सहारे पूर्वी लद्दाख में एलएसी को नये सिरे परिभाषित करने की उसकी चालबाजी भारत को स्वीकार नहीं होगी. आज भारत इस रुख पर कायम रहेगा कि सैन्य तनातनी घटाने के लिए एलएसी के दोनों तरफ मई से पहले की स्थिति बहाल की जाए. गौरतलब है कि दूसरे दौर की बातचीत के बाद भी पूर्वी लद्दाख में चीन ने फौजों की वापसी के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
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