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बॉर्डर इलाकों में शांति के बगैर पूरी तरह नॉर्मल नहीं हो सकते रिश्ते... जयशंकर ने चीन को दे डाली 3 नसीहत

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द के अभाव में भारत-चीन संबंध सामान्य नहीं हो सकते. शांति और सौहार्द की बहाली ही संबंधों को आगे बढ़ाने का आधार होगी."

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद पर संसद में जानकारी दी है.

नई दिल्ली:

भारत और चीन (India-China Border Clash)के बीच पूर्वी लद्दाख में 4 साल से सीमा विवाद को लेकर तनाव था. दो साल की लंबी बातचीत के बाद एक समझौता हुआ, जिसके बाद दोनों सेनाओं का विवादित पॉइंट्स से डिसइंगेजमेंट हुआ. अब विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने मंगलवार को भारत-चीन सीमा विवाद पर संसद में अपडेट दिया है. विदेश मंत्री ने सदन में कहा, "2020 के बाद से भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हैं. सीमा क्षेत्र में शांति भंग हुई थी. तब से दोनों देशों के रिश्ते ठीक नहीं हैं. हाल ही में हुई बातचीत से स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी; तब तक भारत-चीन के रिश्ते पूरी तरह से नॉर्मल नहीं हो सकते." 

विदेश मंत्री ने कहा, "भारत और चीन बातचीत और कूटनीति के जरिए सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट हो चुका है. हालांकि, LAC पर अभी भी कई इलाकों में विवाद है. भारत का मकसद ऐसा समाधान निकालना है, जो दोनों देशों को मंजूर हो."

इस दौरान जयशंकर ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए 3 उपाय भी सुझाए हैं:-
-भारत और चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC का सम्मान करें.
-किसी भी तरह यथास्थिति में एकतरफा बदलाव न किया जाए. 
-दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का पालन किया जाए.

सीमा क्षेत्रों में स्थिरता संबंधों के विकास के लिए शर्त
अक्टूबर में भारत और चीन के बीच सीमा पर सैनिकों की वापसी को लेकर समझौता हुआ था. विदेश मंत्री ने कहा, "हम स्पष्ट हैं कि सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारे संबंधों के विकास के लिए एक शर्त है. आने वाले दिनों में, हम सीमा क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों के प्रभावी प्रबंधन के साथ-साथ तनाव कम करने पर भी चर्चा करेंगे. विदेश मंत्री वांग यी के साथ मेरी हाल की बैठक में, हम इस बात पर सहमत हुए कि विशेष प्रतिनिधि और विदेश सचिव स्तर के तंत्र जल्द ही बैठक करेंगे."

तनाव कम करने के लिए 2 साल में हुईं 38 बैठकें
विदेश मंत्री ने बताया, "भारत-चीन संबंधों पर चर्चा के लिए राजनयिक स्तर पर वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कोऑपरेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) और सैन्य स्तर पर सीनियर हाईएस्ट मिलिट्री कमांडर्स (SHMC) की बैठकें होती हैं." उन्होंने बताया कि भारत और चीन के बीच रिश्ते बेहतर करने के लिए जून 2020 से अब तक WMCC की 17 और SHMC की 21 बैठकें हुईं. तब जाकर 21 अक्टूबर 2024 को देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों पर समझौता हुआ. सितंबर 2022 से इन मुद्दों पर चर्चा चल रही थी, जब हॉट स्प्रिंग्स पर अंतिम समझौता हुआ था.

45 साल बाद पहली बार सैनिकों की गई जान
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में बताया, "जून 2020 में पूर्व लद्दाख के गलवान में हुई झड़प में 45 साल बाद पहली बार सैनिकों की जान गई. इसके बाद बॉर्डर पर भारी हथियार तैनात किए गए. भारत ने इस चुनौती का मजबूती से सामना किया. हमने कूटनीतिक प्रयासों से तनाव कम करने की कोशिश की."

1993, 1996 और 2005 में किए शांति बहाली के उपाय
जयशंकर ने कहा, "हमने साल 1988 से भारत-चीन के बीच सीमा विवाद को बातचीत से सुलझाने और शांति बनाए रखने के लिए कई समझौते किए. 1993, 1996 और 2005 में शांति और विश्वास बहाली के उपाय किए गए. 2020 की घटना ने इन प्रयासों को गंभीर नुकसान पहुंचाया. इसका दोनों देशों के रिश्तों पर गहरा प्रभाव पड़ा."

चीन ने 1962 के युद्ध में भारतीय क्षेत्र पर किया था कब्जा
विदेश मंत्री ने बताया, "चीन ने 1962 के युद्ध में अक्साई चिन के 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था. इसके अलावा 1963 में पाकिस्तान ने 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन चीन को सौंप दी थी."
उन्होंने कहा, "2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन ने सीमा के पास बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए, जिससे दोनों देशों के सैनिकों के बीच तनाव बढ़ा. यह स्थिति भारतीय सेना की गश्ती में रुकावट बनी. हालांकि, हमारी सेना ने इस चुनौती का मजबूती से सामना किया."

गलवान में 15 जून 2020 को हुई थी झड़प
15 जून 2020 को चीन ने पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में अभ्यास के बहाने सैनिकों को जमा किया था. इसके बाद कई जगहों पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं. भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे. हालात इतने खराब हो गए कि LAC पर गोलियां चलीं.

इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. भारत की सेना ने भी चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया था. इसमें करीब 60 चीनी जवान मारे गए थे. हालांकि, चीन ने अपने सैनिकों की संख्या 4 बताई थी.

देपसांग और डेमचोक में शुरू हुई पेट्रोलिंग
गलवान झड़प के बाद देपसांग और डेमचोक में तनाव बना हुआ था. करीब 4 साल बाद 21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच नया पेट्रोलिंग समझौता हुआ. बीते दिनों देपसांग और डेमचोक से दोनों सेनाओं के पीछे हटने की जानकारी सामने आई. यहां से दोनों सेनाएं अप्रैल 2020 से पहली की स्थिति में वापस लौटीं. इसके बाद भारत ने इन पॉइंट पर पेट्रोलिंग भी की. इसके अलावा दोनों देशों के बीच कमांडर लेवल मीटिंग होती रहेगी.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में बताया कि इस समझौते का मकसद लद्दाख में गलवान जैसी झड़प रोकना और पहले जैसे हालात बनाना है.

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