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This Article is From Feb 15, 2011

90 मिनट में हो गया कोली की किस्मत का फैसला

New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने निठारी श्रृंखलाबद्ध बलात्कार एवं हत्याकांड में सुरिंदर कोली की सजा-ए-मौत की पुष्टि करने में महज 90 मिनट लगे जो सजा-ए-मौत की अब तक की शायद सबसे तेज सुनवाई है। अंतिम सुनवाई में न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काट्जू और न्यायमूर्ति ज्ञानसुधा मिश्रा की पीठ ने कोली को सजा-ए-मौत के निचली अदालत और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसलों पर मंजूरी की मुहर लगाने के लिए उसके इकबालिया बयान को महत्व दिया। अतिरिक्त सालिसिटर जनरल विवेक तंखा की दलीलें सुनने के बाद दोनों न्यायाधीशों ने 39 साल के कोली के वकील से कहा कि वह उसकी दोषसिद्धि के खिलाफ दलीलें पेश करें। बहरहाल, वकील ने कहा कि वह सजा मौत के खिलाफ अपनी बातें रखेंगे। अदालत उससे प्रभावी नहीं हुई। खंडपीठ ने कहा, कोली ने अपना इकबालिया बयान वापस नहीं लिया है और जिन परिस्थितियों में अपराध किया गया वे इसे विरल मामलों की श्रेणी में लाती हैं।

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