'किस ऑफ़ लव' हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं बल्कि ये बेहद निजी है, जो कि चहरदिवाली के अंदर तक ही सिमित होनी चाहिए। ऐसे कार्यक्रमों से यौन अपराधों को बढ़ावा भी मिल सकता है।'
यह उस पत्र का अंश है जो कर्नाटक की महिला और बाल कल्याण मंत्री उमा श्री ने राज्य के गृहमंत्री केजी जॉर्ज को लिख कर अपना विरोध जताया है। शरू में तो ऐसा लगा की उमा श्री की आवाज़ अलग-थलग पड़ जाएगी, क्योंकि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है और शायद संघ परिवार की तरह कांग्रेस पार्टी अपने ऊपर मोरल पोलिसिंग का टैग चिपकाना नहीं चाहेगी, लेकिन लेकिन उमा श्री के बाद राज्य के परिवहन मंत्री रामलिंगे रेड्डी ने भी 'किस ऑफ़ लव' का विरोध किया।
अब राज्य के कद्दावर नेता और ऊर्जा मंत्री डीके शिवकुमार भी इस कार्यक्रम के खिलाफ दिख रहे हैं। वह कहते हैं, 'हमें अपने राज्य के माहौल का ध्यान रखना है। हमारे यहां ऐसे कार्यक्रमों को न तो कभी तरजीह दी गई है, न ही ऐसा कभी हुआ है। ऐसे में मुझे उम्मीद है की मुख्यमंत्री सोंच समझ कर फैसला लेंगे।'
सोशल मीडिया पर लगातार चल रहे कैंपेन के मुताबिक 30 नवंबर को बेंगलुरु के टाउनहॉल के सामने 'किस ऑफ़ लव' का आयोजन होगा। शहर के पुलिस कमिश्नर एमइन रेड्डी ने साफ़ किया है की अब तक इसकी इजाज़त नहीं दी गई है, क्योंकि आयोजकों की तरफ से ज़रूरी जानकारी पुलिस को अब तक नहीं मिली है।
इस कार्यक्रम के विरोध में दलित संघर्ष समिति के समतावादी गुट ने पुलिस कमिश्नर के दफ्तर के बाहर सोमवार को नारेबाजी भी की।
अपने ही कैबिनेट के वरिष्ट मंत्रियों के विरोध की वजह से मुख्यमंत्री सिद्धारमैय्या और गृहमंत्री केजी जॉर्ज काफी दबाव में हैं और जिस तरह से दूसरे दल भी विरोध में सामने आ रहे हैं। इससे इस कार्यक्रम के भविष्य पर सवालिया निशान लगता नज़र आ रहा है।
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