संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने लखीमपुर खीरी (Lakhimpur) हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि देश की न्यायिक व्यवस्था में किसानों का विश्वास बहाल हो गया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, 'अजय मिश्रा टेनी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहने का अब कोई औचित्य नहीं बचा है.'' संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था और उसके बाद तीनों कानूनों को वापस ले लिया गया.
उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) द्वारा दी गई जमानत सोमवार को रद्द कर दी और उन्हें एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में ‘पीड़ितों' को निष्पक्ष एवं प्रभावी तरीके से नहीं सुना गया, क्योंकि उसने (उच्च न्यायालय ने) ‘‘साक्ष्यों को लेकर संकुचित दृष्टिकोण अपनाया.'' उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अप्रासंगिक विचारों को ध्यान में रखा और प्राथमिकी की सामग्री को अतिरिक्त महत्व दिया.
न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मोर्चा ने कहा कि देश की न्यायिक प्रणाली में किसानों और लोगों का विश्वास बहाल हुआ है. मोर्चा ने दावा किया कि तीन अक्टूबर के हत्याकांड में शुरू से ही अपराधियों को बचाने के प्रयास किए जा थे और सर्वोच्च अदालत के बार-बार हस्तक्षेप के बाद ही न्याय मिला है. संगठन ने कहा, ‘‘इस आदेश के बाद अजय मिश्रा टेनी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहने का कोई औचित्य नहीं रह गया है.''मोर्चा ने आरोप लगाया, ‘‘... सरकार शुरू से ही, मंत्री और उनके बेटे का हर प्रकार से बचाव करने के लिए प्रतिबद्ध थी तथा इस मामले में संवैधानिक मानदंडों और कानूनी प्रक्रिया का बार-बार उल्लंघन किया गया.''
पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हिंसा के दौरान आठ लोग मारे गए थे. यह हिंसा तब हुई थी जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे. उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक वाहन जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे, उसने चार किसानों को कुचल दिया था. घटना के बाद गुस्साए किसानों ने वाहन चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी. इस दौरान हुई हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी.
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