फरवरी में हुए जाट आंदोलन का फाइल फोटो।
चंडीगढ़:
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के 5 जून से आंदोलन की चेतावनी को खट्टर सरकार गम्भीरता से ले रही है। सरकार का दावा है कि फरवरी वाले हालत नहीं बनें इसके लिए वह चाक चौबंद तैयार है।
सोनीपत में मूनक नहर पर पहरा
5 जून से जाटों का धरना चालू होगा लेकिन सोनीपत में मूनक नहर पर पहरा अभी से बिठा दिया गया है। फरवरी में आंदोलन के दौरान दिल्ली का पानी रोककर जाटों ने खट्टर सरकार की नींद हराम कर दी थी। सरकार का दावा है कि इस बार हालात बिगड़ने नहीं दिए जाएंगे। तैयारी भी मुकम्मल है। सरकार ने इसके लिए राज्य में जरूरत के अनुसार आवश्यक व्यवस्थाएं बनाई हैं, जो प्रमुख रूप से इस प्रकार हैं-
नुकसान की भरपाई नेताओं से
गृह सचिव राम निवास के बताया कि रैली, धरने के लिए जिले में जगह तय कर दी गई है। हाईवे, रेलवे ट्रैक पर किसी को प्रदर्शन की इजाजत नहीं होगी। नेताओं को नोटिस भेजे जा रहे हैं। नुकसान हुआ तो नेताओं से रिकवरी होगी।
मुख्यमंत्री की सख्ती का जाट नेताओं पर असर
जाट नेताओं का आरोप है कि सरकार ने आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमों की समीक्षा करने का वादा किया था लेकिन अब मुकर रही है। हालांकि मुख्यमंत्री इस बार आंदोलनकारियों से सख्ती से निपटने की बात कह रहे हैं। जाट नेताओं पर असर भी दिख रहा है।
आंदोलन की धार कुंद करने के लिए कूटनीति
खट्टर सरकार आंदोलन की धार को कुंद करने के लिए कूटनीति का इस्तेमाल भी कर रही है। हवा सिंह सांगवान गुट ने पहले ही खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है। सांगवान की अगुवाई वाली आल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल कर कहा है कि मामले में उसे पार्टी बनाया जाए। सरकार खाप पंचायतों पर भी दबाव बन रही है। कोशिश आंदोलन का आह्वान करने वाले यशपाल मालिक गुट को बाहरी बताकर अलग-थलग करने की है।
सोनीपत में मूनक नहर पर पहरा
5 जून से जाटों का धरना चालू होगा लेकिन सोनीपत में मूनक नहर पर पहरा अभी से बिठा दिया गया है। फरवरी में आंदोलन के दौरान दिल्ली का पानी रोककर जाटों ने खट्टर सरकार की नींद हराम कर दी थी। सरकार का दावा है कि इस बार हालात बिगड़ने नहीं दिए जाएंगे। तैयारी भी मुकम्मल है। सरकार ने इसके लिए राज्य में जरूरत के अनुसार आवश्यक व्यवस्थाएं बनाई हैं, जो प्रमुख रूप से इस प्रकार हैं-
- जिले में किसी भी गड़बड़ी के लिए डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, एसपी व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार होंगे।
- जिले के मजिस्ट्रेट और पुलिस अफसरों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए लिखित आदेश।
- केंद्रीय सुरक्षा बल पर्याप्त संख्या मौजूद है, जरूरत पड़ी तो और भी मंगवाएंगे, 10 कम्पनियां आ चुकी हैं।
- सेना को भी तैयार रहे के लिए अलर्ट कर दिया गया है।
- संवेदनशील गांवों को चिन्हित कर खास नजर रखी जा रही है।
- मोबाइल इंटरनेट जैसी सेवाओं पर प्रतिबंध पर विचार।
- मूनक नहर की पट्रोलिंग हरियाणा और केंद्रीय सुरक्षा बल मिलकर रहे हैं।
नुकसान की भरपाई नेताओं से
गृह सचिव राम निवास के बताया कि रैली, धरने के लिए जिले में जगह तय कर दी गई है। हाईवे, रेलवे ट्रैक पर किसी को प्रदर्शन की इजाजत नहीं होगी। नेताओं को नोटिस भेजे जा रहे हैं। नुकसान हुआ तो नेताओं से रिकवरी होगी।
मुख्यमंत्री की सख्ती का जाट नेताओं पर असर
जाट नेताओं का आरोप है कि सरकार ने आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमों की समीक्षा करने का वादा किया था लेकिन अब मुकर रही है। हालांकि मुख्यमंत्री इस बार आंदोलनकारियों से सख्ती से निपटने की बात कह रहे हैं। जाट नेताओं पर असर भी दिख रहा है।
आंदोलन की धार कुंद करने के लिए कूटनीति
खट्टर सरकार आंदोलन की धार को कुंद करने के लिए कूटनीति का इस्तेमाल भी कर रही है। हवा सिंह सांगवान गुट ने पहले ही खुद को आंदोलन से अलग कर लिया है। सांगवान की अगुवाई वाली आल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल कर कहा है कि मामले में उसे पार्टी बनाया जाए। सरकार खाप पंचायतों पर भी दबाव बन रही है। कोशिश आंदोलन का आह्वान करने वाले यशपाल मालिक गुट को बाहरी बताकर अलग-थलग करने की है।
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