केरल के मलप्पुरम में एक गर्भवती महिला के कोविड-19 से ठीक हो जाने के बावजूद पिछले कई अस्पतालों ने उसका इलाज करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद महिला के जुड़वां बच्चों की मौत हो गई. परिवार ने ये आरोप लगाते हुए बताया है कि महिला को कोरोनावायरस से ठीक होने के बाद 15 सितंबर को ही अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुकी थीं. जानकारी है कि उनके पति उनको भर्ती कराने के लिए लगातार 14 घंटों तक भागादौड़ी करते रहे. परिवार ने बताया है कि बस प्राइवेट ही नहीं, सरकारी अस्पतालों ने भी महिला को भर्ती कराने से इनकार कर दिया था.
पहिला के पति एनसी शरीफ जो एक पत्रकार है, उन्होंने बताया है कि वो दो जिलों में लगातार अस्पतालों के बीच दौड़ते रहेस ताकि उनकी पत्नी को वक्त पर इलाज मिल सके. आखिरकार उनकी पत्नी को कोझिकोड मेडिकल अस्पताल में भर्ती किया गया.
केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं और इसके लिए स्वास्थ्य सचिव को जांच करने के लिए कहा गया है. स्वास्थ्य मंत्री ने एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि यह घटना बहुत 'दर्दनाक' है और इसके लिए जो भी जिम्मेदार है, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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महिला के पति ने बताया है कि मंजरी मेडिकल कॉलेज ने यह कहते हुए इलाज से इनकार कर दिया था कि वो अस्पताल कोविड-19 के मरीजों के लिए है. हालांकि, महिला को पहले यहां एडमिट कर लिया गया था, लेकिन बाद में यह कहते हुए डिस्चार्ज कर दिया गया कि 'उन्हें दर्द नहीं हो रहा है.'
वहीं, इसके पहले एक प्राइवेट अस्पताल ने कोविड-19 के संभावित संक्रमण को देखते हुए इलाज करने से मना कर दिया था. एक सरकारी अस्पताल ने पहले महिला को मंजरी मेडिकल कॉलेज रेफर किया था, जहां उन्हें इलाज नहीं मिल पाया. फिर यहां से उन्हें किसी और अस्पताल में रेफर किया गया. कोझिकोड के एक अन्य अस्पताल ने मंजरी मेडिकल कॉलेज से मिला निगेटिव एंटीजन सर्टिफिकेट लेने से इनकार कर दिया था और RT-PCR टेस्ट रिजल्ट लाने को कहा था. वहीं, एक दूसरे अस्पताल ने कहा कि उनके पास गाइनेकोलॉजिस्ट ही नहीं है.
Video: 12 फीसदी गर्भवती महिलाओं को कोरोना
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