केरल के मंदिरों का प्रबंधन संभालने वाले देवासम बोर्ड के खिलाफ याचिका पर केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. केरल सरकार ने कहा कि मंदिरों को नियंत्रण से बाहर नहीं करना चाहिए. सरकार ने त्रावणकोर और कोचीन में सबरीमाला और अन्य मंदिरों का प्रबंधन करने वाले देवासम बोर्ड को खत्म करने या संशोधित करने से इनकार किया.
सरकार ने कहा कि राज्य एक मंदिर के धर्मनिरपेक्ष मामलों को भी नियंत्रित कर सकता है. सरकार ने कहा है कि मंदिरों को संचालित करने के लिए वर्तमान प्रणाली सबसे अच्छी प्रणाली है. बोर्ड में गैर-हिंदू सदस्यों का नामांकन इसके हिंदू चरित्र को नहीं बदलेगा. यदि इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया जाए तो मंदिरों के कुप्रबंधन से इनकार नहीं किया जा सकता. मौजूदा व्यवस्था से मंदिरों में व्याप्त भ्रष्टाचार, संपत्तियों के कुप्रबंधन पर रोक लगी है.
केरल सरकार ने कहा कि अगर कोई बोर्ड नहीं होगा तो राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और भ्रष्टाचार मंदिरों को नष्ट कर देगी. सरकार बोर्ड के आय और व्यय को नियंत्रित नहीं करती.
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केरल सरकार ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका खारिज करने की मांग की है. राज्य सरकार द्वारा मंदिरों पर नियंत्रण को चुनौती दी गई है. उन्होंने उन मानदंडों पर भी सवाल उठाया है जो बोर्ड में गैर-हिंदू सदस्यों के नामांकन का कारण बनते हैं. स्वामी ने नियमों की अवहेलना का आरोप लगाया है.
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सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 31 जनवरी को सुनवाई करेगा. इससे पहले स्वामी की याचिका पर कोर्ट ने केरल सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका में देवासम बोर्ड को भंग करने की मांग की गई है.
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