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This Article is From Oct 05, 2018

कठुआ रेप केस: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की आरोपियों की CBI जांच की मांग, नाबालिग का नाम भी याचिका से हटाया

जम्‍मू-कश्‍मीर के कठुआ में बच्ची से रेप और हत्या का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की सीबीआई जांच कराने व ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.

कठुआ रेप केस: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की आरोपियों की CBI जांच की मांग, नाबालिग का नाम भी याचिका से हटाया
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: जम्‍मू-कश्‍मीर के कठुआ में बच्ची से रेप और हत्या का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की सीबीआई जांच कराने व ट्रायल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मैटेरियल देखने के बाद हमें लगता है कि मामले की फिर से जांच की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता में प्रवेश का नाम भी हटा दिया है क्‍योंकि वो नाबालिग है. 

आरोपी प्रवेश की ओर दाखिल याचिका में कहा गया कि जम्मू कश्मीर पुलिस की जांच मोटिवेटिड है और दस दिनों में तीन SIT बनाई गईं. दो अफसरों पर रेप और कस्टडी में मौत व करप्शन का केस है. इसलिए इस मामले की जांच होनी चाहिए. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी संजीलाल और उसके बेटे की याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की गई थी.

आरोपी प्रवेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पठानकोट में चल रहे ट्रायल पर रोक लगाने और जांच सीबीआई को देने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल को कठुआ से पंजाब के पठानकोट में ट्रांसफर किया था. इस मामले में 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान की कार्रवाई बंद कर दी थी और कहा था कि वो ट्रायल की निगरानी नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आरोपियों को कठुआ जेल से गुरदासपुर जेल ट्रांसफर किया जाए, क्योंकि ट्रायल के दौरान लाने ले जाने में वक्त लगता है. जम्मू-कश्मीर पुलिस मामले की सप्लीमेंट्री चार्जशीट 8 हफ्ते में दाखिल करेगी. ट्रायल जज कोर्ट रूम को ट्रायल इन कैमरा होगा, संबंधित वकील, आरोपी व सुरक्षाकर्मी व केस से जुड़े लोग ही कोर्टरूम में जाएंगे. 

पंजाब सरकार ट्रायल जज और वकीलों को सुरक्षा प्रदान करेगी जबकि जम्मू कश्मीर सरकार आरोपियों को सुरक्षा देगी. आरोपी के घरवालों को गुरदासपुर में मिलने का खर्च जम्मू कश्मीर सरकार देगी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा किया था और कहा कि इसके बाद किसी को कोई दिक्कत है तो पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट जा सकते हैं. 
 

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