कठुआ गैंगरेप के मामले में आरोपी संजीलाल और उसके बेटे विकास जगरोत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है
नई दिल्ली:
कठुआ गैंगरेप मामले में मुख्य आरोपी संजीलाल और उसके बेटे विकास जगरोत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में कहा गया है कि वे बेगुनाह हैं. जम्मू-कश्मीर क्राइम ब्रांच ने उनको फंसाया है. मामले को सीबीआई को सौंपने की मांग करते हुए कहा गया है कि असली अपराधियों को पकड़ने और पीड़ित को इंसाफ दिलाने के लिए यह ज़रूरी है.
हलफनामे में कहा गया है कि सिर्फ आशंका के आधार पर केस को जम्मू से बाहर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश, जहां कानून का राज है, वहां फेयर एंड फ्री ट्रायल का अधिकार आरोपी का भी है. कठुआ में ट्रायल चल रहा है जिसमें 221 गवाह हैं. उनके लिए 265 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ जाकर गवाही देना मुमकिन नहीं है.
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आरोपियों ने कहा है कि पीड़ित परिवार को कोई धमकी नहीं दी जा रही, उल्टे हमें ही लोग धमका रहे हैं. इसके सबूत भी हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि पीड़िता की वकील दीपिका राजावत ट्रायल कोर्ट में पीड़ित परिवार की वकील नहीं है लिहाजा उनकी और उनके साथी तालिब हुसैन की सुरक्षा हटाई जाए.
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हलफनामे में कहा गया है कि ट्रायल के अलावा जीने के अधिकार को लेकर भी स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच भी ज़रूरी है. जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं, भेदभाव से प्रेरित है. SIT में शामिल DSP इरफान वानी के खिलाफ रेप का मुकदमा चल रहा है. इंस्पेक्टर निसार खान के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चल रहा है. SIT ने केस डायरी में गड़बड़ की, आरोपियों व गवाहों को टॉर्चर किया.
आरोपियों की ओर से कहा गया है कि संजीलाल पीड़ित बच्ची के दादा की उम्र का है जबकि विशाल तो उस वक्त यूपी इम्तिहान दे रहा था. वे खुद के लिए फेयर ट्रीटमेंट और पीड़िता के लिए न्याय चाहते हैं.
VIDEO : रक्षा मंत्री ने कहा, सीबीआई जांच में गलत क्या?
गौरतलब है कि इस मामले में बच्ची के जैविक पिता की ट्रायल को कठुआ से चंडीगढ ट्रांसफर करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कठुआ ट्रायल पर रोक लगा दी थी. आरोपियों को जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था.
हलफनामे में कहा गया है कि सिर्फ आशंका के आधार पर केस को जम्मू से बाहर ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश, जहां कानून का राज है, वहां फेयर एंड फ्री ट्रायल का अधिकार आरोपी का भी है. कठुआ में ट्रायल चल रहा है जिसमें 221 गवाह हैं. उनके लिए 265 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ जाकर गवाही देना मुमकिन नहीं है.
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आरोपियों ने कहा है कि पीड़ित परिवार को कोई धमकी नहीं दी जा रही, उल्टे हमें ही लोग धमका रहे हैं. इसके सबूत भी हैं. याचिकाकर्ता ने कहा कि पीड़िता की वकील दीपिका राजावत ट्रायल कोर्ट में पीड़ित परिवार की वकील नहीं है लिहाजा उनकी और उनके साथी तालिब हुसैन की सुरक्षा हटाई जाए.
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हलफनामे में कहा गया है कि ट्रायल के अलावा जीने के अधिकार को लेकर भी स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच भी ज़रूरी है. जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच निष्पक्ष नहीं, भेदभाव से प्रेरित है. SIT में शामिल DSP इरफान वानी के खिलाफ रेप का मुकदमा चल रहा है. इंस्पेक्टर निसार खान के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा चल रहा है. SIT ने केस डायरी में गड़बड़ की, आरोपियों व गवाहों को टॉर्चर किया.
आरोपियों की ओर से कहा गया है कि संजीलाल पीड़ित बच्ची के दादा की उम्र का है जबकि विशाल तो उस वक्त यूपी इम्तिहान दे रहा था. वे खुद के लिए फेयर ट्रीटमेंट और पीड़िता के लिए न्याय चाहते हैं.
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गौरतलब है कि इस मामले में बच्ची के जैविक पिता की ट्रायल को कठुआ से चंडीगढ ट्रांसफर करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कठुआ ट्रायल पर रोक लगा दी थी. आरोपियों को जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था.
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