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This Article is From Dec 28, 2015

कश्‍मीर से ‘नई’ खबर : ड्रग्‍स में डूबे पति को तलाक दे रही हैं महिलाएं...

कश्‍मीर से ‘नई’ खबर : ड्रग्‍स में डूबे पति को तलाक दे रही हैं महिलाएं...
सामाजिक धारणाओं को तोड़कर कश्‍मीर की महिलाएं अब ड्रग्‍स के आदी पति को तलाक दे रही हैं
श्रीनगर: 27 साल की रिफत के लिए नशीली दवाओं के आदी पति को तलाक देने का यह फैसला आसान नहीं था।  पिछले तीन साल से पति की नशे की लत छुड़वाने के रिफत के प्रयास नाकाम रहे थे। यही नहीं, कई बार तो नशीली दवा के असर के चलते उसका पति हिंसक भी हो जाता था।

ऐसी 40 महिलाओं में शामिल है रिफत
 रिफत उन 40 कश्‍मीरी महिलाओं में शामिल है जिन्‍होंने हाल में अपने ड्रग्‍स के आदी पति को तलाक दिया है। इन महिलाओं को कहना है कि स्‍थानीय शरिया अदालत ने इसमें उनकी मदद की है। मामले से  सामाजिक संवेदनशीलता के मद्देनजर रिफत केा अपने माता-पिता को यह समझाने में काफी प्रयास करना पड़ा कि वह इस मानसिक और शारीरिक पीड़ा को और अधिक नहीं झेल सकती।

महिला आखिर पति को तलाक क्‍यों नहीं दे सकती
रिफत ने कहा, 'मैं नहीं जानती कि पुरुषों में यह धारणा क्‍यों है कि महिला अपने पति को तलाक नहीं दे सकती। वे सोचते हैं कि केवल पतियों को ही ऐसा करने का हक है। एक क्षण के लिए तो वह मुझसे सहमत हो जाता था लेकिन अचानक ड्रग्‍स के असर के चलते हिंसक होकर मुझे मारना शुरू कर देता था। जब यह सिलसिला चलता रहा तो मैंने अपने पिता से बात की। मैंने कहा कि मैं अपने पति के साथ उस स्थिति में ही रहने को तैयार हूं जब पर ड्रग्‍स छोड़े।'

असहज कमेंट का सामना करना पड़ा
उत्‍तरी कश्‍मीर की रहने वाली शाजिया को भी दुखदायी बन चुकी शादी को तोड़ना पड़ा। शाजिया के अनुसार, इसके लिए उसे लोगों की असहज करने वाले कमेंट का सामना भी करना पड़ा। शाजिया ने कहा, 'लोग कमेंट करते थे। मैंने कहा कि आप जो चाहें, कहने को आजाद हैं। मैं इसकी परवाह नहीं करती। मुझे लगता है कि मैंने सही निर्णय लिया है।' श्रीनगर स्थित शरिया कोर्ट के प्रमुख मुफ्ती के अनुसार, उनके पास नशे के आदी पतियों से परेशान महिलाओं के कई मामले आए हैं।

मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर लिया गया निर्णय
कश्‍मीर के प्रमुख मुफ्ती नसीरुल इस्‍लाम के अनुसार, 'इन परिस्थितियों में महिला तलाक मांग सकती है।' उन्‍होंने कहा कि पिछले एक माह में शरिया अदालत के जरिये तलाक के 40 मामले निपटा चुके हैं। उन्‍होंने इन मामलों को मेडिकल बोर्ड के पास भेजा था और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर ही फैसला लिया गया। इन महिलाओं का कहना है कि पति को तलाक देने का निर्णय नशीली दवाओं के सेवन जैसी सामाजिक बुराई और इस्‍लाम धर्म के तहत उन्‍हें मिले अधिकार को अभिव्‍यक्‍त करता है। वैसे तलाक के इन मामलों ने कश्‍मीर में ड्रग्‍स के आदी युवाओं की बढ़ती संख्‍या की ओर भी सबका ध्‍यान केंद्रित किया है।

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