The Kashmir Files success story: निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की बहुचर्चित हिंदी फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) इस समय हर कहीं चर्चा का विषय बनी हुई है. कश्मीर मुद्दे पर बनी इस फिल्म को सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा हासिल हुई है. हालांकि कश्मीरी पंडितों के संवेदनशील विषय पर निर्मित इस फिल्म की कुछ लोग आलोचना भी कर रहे हैं, इन लोगों को कहना है कि फिल्म के कारण देश का सांप्रदायिक सौहार्द प्रभावित हो रहा है. इस बीच, कश्मीरी पंडितों के संगठन ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा (GKPD)ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस फिल्म और कश्मीर पंडितों से जुड़ी मुद्दे पर चर्चा की. GKPD के अनुसार, 20 देशों में है हमारी ऑर्गेनाइजेशन है और हम लोगों ने विवेक अग्निहोत्री जी से रिक्वेस्ट की थी कि कश्मीर पंडितों के मसले पर फिल्म बनाइए. हमने उन्हें करीब 750 पीड़ितों से मिलवाया था. GKPD के कोफाउंडर सुरेंद्र कौल ने कहा, 'हमें बुलंद आवाज़ रखने की ज़रूरत पड़ी.हमारे समाज ने अपनो का खून बहते देखा, सरकारी तंत्र सहित हरेक का मौन देखा. कश्मीरी पंडित नरसंहार और निष्कासन के शिकार हुए और लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं थी, नहीं दी गई. पिछले 10 साल से मूवी के रूप में इसको परदे पर उतरना चाहता था, इसका उद्देश्य पूरे विश्व का इस पर ध्यान दिलाना था. मामले में संबंधित 700 गवाहों के साथ बात की. '
उन्होंने कहा, 'फिल्म सत्य के आधार पर है. जो मूवी में लोगों ने देखा वो 5 या 10% ही बर्बरता है. इतने कम समय में सारी चीजों को समेटा नहीं जा सकता है. ये प्रोपगंडा मूवी नहीं है. नफरत फैलाने के लिए....किसके साथ??? इसे हिंदू-मुस्लिम की नजर से न देखा जाए. हिंदू मुस्लिम का ध्रुवीकरण नहीं हो रहा. हम किसी कम्युनिटी या कंट्री के खिलाफ नहीं है. यह फिल्म सिस्टम फेल्योर को दिखाती है.'फिल्म की आलोचना को लेकर GKPD की ओर से कहा गया कि इतिहास का सच दुखदाई हो सकता है, इसका मतलब ये नहीं कि इतिहास पढ़ाना ही बंद कर दें.32 साल से इस मौके के लिए तरस गए..आपने जो प्यार दिखाया.टैक्स से छूट मिली कुछ राज्यों में और बाकी मुख्यमंत्री से भी गुजारिश की टैक्स में छूट दें. GKPD ने सिर्फ लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया बस. हम किसी विंग, पार्टी से नहीं जुड़े...बीजेपी, कांग्रेस किसी से नहीं.जो हमारे साथ हुआ, इसको भूल नहीं सकते.ग्लोबल टेरेरिज्म खतरनाक है, इस मूवी को आगे ले जाएंगे.
उन्होंने कहा कि ये मूवी सारे समाज को जोड़ती है.ये टेरेरिज्म 1988 से ही चालू हो गया था। मार्च 89 से हमारे समाज की टारगेट किलिंग हुई.उस समय किनकी सरकार थी?? हम ब्लेम गेम में नहीं पड़ना चाहते हैं. उस समय न फोन था, न इंटरनेट यह कहा जा रहा है कि यह जगमोहन के समय में हुआ लेकिन ये 1990 नहीं, उससे पहले से हो रहा था.
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