चेन्नई:
कमल हासन की फिल्म ‘विश्वरूपम’ से जुड़े नाटकीय घटनाक्रम में बुधवार को प्रसिद्ध अभिनेता को उस समय झटका लगा जब मद्रास उच्च न्यायालय ने इस फिल्म पर लगी रोक हटाने के एकल न्यायाधीश के फैसले को दरकिनार कर दिया जिससे तमिलनाडु में इसका प्रदर्शन एक बार फिर टल गया। एकल न्यायाधीश ने फिल्म के प्रदर्शन को हरी झंडी प्रदान कर दी थी।
इधर, मुस्लिम भावनाओं को देखते हुए अभिनेता ने फिल्म के कुछ दृश्यों को हटाने पर सहमति व्यक्त जताते हुए राज्य छोड़ने की धमकी दी।
पिछली रात न्यायमूर्ति के वेंकटरामण के आदेश से अभिनेता को मिली राहत जल्द ही समाप्त हो गई जब कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एलिपे धर्मा राव और न्यायमूर्ति अरूणा जगदीशन की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के फैसले को खारिज कर दिया जिससे आज इस फिल्म का प्रदर्शन रुक गया।
दो सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख बुधवार को निर्धारित कर दी। वहीं, अभिनेता ने अब उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करने की योजना बनाई है।
अभिनेता के भाई चंद्रा हासन ने कहा कि वह अगले कदम के लिए बुधवार तक का इंतजार करेंगे।
बहरहाल, इस मुद्दे ने उस समय राजनीतिक रंग ले लिया है जब द्रमुक अध्यक्ष एम करूणानिधि ने कहा कि क्या उनके एक समारोह में धोती पहनने वाले तमिल के प्रधानमंत्री बनने (संभवत: पी चिदंबरम के संदर्भ में) की मांग इस समस्या का मुख्य कारण है।
करूणानिधि ने एक टीवी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अन्नाद्रमुक इस फिल्म का अधिकारी खरीदना चाहती थी लेकिन निर्माताओं ने कहा कि उन्होंने इस पर 100 करोड़ रुपया खर्च किया है।
गौरतलब है कि एकल न्यायाधीश ने मुस्लिम संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार के इस फिल्म के प्रदर्शन पर लगाए गए प्रतिबंध पर अंतरिम रोक लगा दी थी। मुस्लिम संगठनों का दावा है कि इसमें उन्हें नकारात्मक रूप में पेश किया गया है।
अदालत का आदेश एकल न्यायाधीश के अंतरिम आदेश के खिलाफ सरकार की अपील पर आया। अपनी फिल्म ‘विश्वरूपम’ के प्रदर्शन पर रोक को लेकर अभिनेता-निर्माता कमल हासन ने भावुक होते हुए बुधवार को कहा कि कुछ मुस्लिम नेताओं के साथ बातचीत के दौरान इस विषय को आमसहमति से सुलझा लिया गया था जब उन्होंने पवित्र कुरान से जुड़े इस फिल्म के कुछ दृश्यों को हटाने पर सहमति जताई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह मुस्लिम विरोधी फिल्म नहीं है, यह मुस्लिम समर्थक फिल्म है। मुझमें और मुसलमान भाइयों में कोई अंतर नहीं है।’’ फिल्म के भविष्य को लेकर अदालत में मामला लंबित है, इसे देखते हुए रूंधे गले से हासन ने कहा कि तमिलनाडु सरकार नहीं चाहती कि वह राज्य में रहें और वह रहने के लिए देश या विदेश में किसी ‘धर्मनिरपेक्ष’ स्थान की तलाश कर सकते हैं।
बताया जा रहा है कि 100 करोड़ की अनुमानित राशि से बनी इस फिल्म के लिए अभिनेता ने अपनी पूरी संपत्ति दांव पर लगा दी। उन्होंने कहा कि फिल्म के प्रदर्शन में देरी की वजह से हुए नुकसान की वजह से वह अपना घर खो सकते हैं।
आज सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ए नवनीतकृष्णन ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने याचिका (कमल हासन की) पर आदेश इस बात पर विचार किए बिना दिया कि यह कानून के तहत स्वीकार करने योग्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीश ने इस महत्वपूर्ण विषय पर विचार नहीं किया कि इस संबंध में धारा 144 के तहत दिया गया आदेश कानून व्यवस्था, शांति और सम्प्रदायिक सौहार्द को ध्यान में रखते हुए दिया गया था।
थियेटर मालिकों के साथ हासन के विवाद के कारण प्रारंभ में फिल्म के प्रदर्शन पर संकट छा गए थे। इस फिल्म का प्रदर्शन 25 जनवरी को होना निर्धारित था।
रामनाथपुरम से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, नकाबपोश गिरोह ने दो थियेटरों में पेट्रोल बम और पत्थर फेंके और सीसे और फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया जबकि हासन के समर्थकों ने इरोड और थेनी में थियेटर के बाहर प्रदर्शन किया और फिल्म को प्रदर्शित करने की अनुममि देने की मांग की। दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि उच्च न्यायालय को इस मामले पर समग्रता सें विचार करना चाहिए।
इस मामले में महाविधवक्ता ने अदालत में कहा कि एकल न्यायाधीश ने सार्वजनिक शांति, सुरक्षा तथा कानून एवं व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन नहीं किया।
इससे पहले हासन ने कहा, ‘‘जब एमएफ हुसैन ऐसा कर सकते हैं, तब कमल हासन भी ऐसा कर सकता है। मैं थक गया हूं। इसके बाद मुझे रहने के लिए किसी धर्मनिरपेक्ष राज्य की तलाश करनी होगी। मुझे तमिलनाडु को छोड़कर कश्मीर से लेकर केरल तक धर्मनिरपेक्ष राज्य की तलाश करनी होगी। तमिलनाडु सरकार मुझे यहां नहीं देखना चाहती है।’’
इधर, मुस्लिम भावनाओं को देखते हुए अभिनेता ने फिल्म के कुछ दृश्यों को हटाने पर सहमति व्यक्त जताते हुए राज्य छोड़ने की धमकी दी।
पिछली रात न्यायमूर्ति के वेंकटरामण के आदेश से अभिनेता को मिली राहत जल्द ही समाप्त हो गई जब कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एलिपे धर्मा राव और न्यायमूर्ति अरूणा जगदीशन की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के फैसले को खारिज कर दिया जिससे आज इस फिल्म का प्रदर्शन रुक गया।
दो सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख बुधवार को निर्धारित कर दी। वहीं, अभिनेता ने अब उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करने की योजना बनाई है।
अभिनेता के भाई चंद्रा हासन ने कहा कि वह अगले कदम के लिए बुधवार तक का इंतजार करेंगे।
बहरहाल, इस मुद्दे ने उस समय राजनीतिक रंग ले लिया है जब द्रमुक अध्यक्ष एम करूणानिधि ने कहा कि क्या उनके एक समारोह में धोती पहनने वाले तमिल के प्रधानमंत्री बनने (संभवत: पी चिदंबरम के संदर्भ में) की मांग इस समस्या का मुख्य कारण है।
करूणानिधि ने एक टीवी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अन्नाद्रमुक इस फिल्म का अधिकारी खरीदना चाहती थी लेकिन निर्माताओं ने कहा कि उन्होंने इस पर 100 करोड़ रुपया खर्च किया है।
गौरतलब है कि एकल न्यायाधीश ने मुस्लिम संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य सरकार के इस फिल्म के प्रदर्शन पर लगाए गए प्रतिबंध पर अंतरिम रोक लगा दी थी। मुस्लिम संगठनों का दावा है कि इसमें उन्हें नकारात्मक रूप में पेश किया गया है।
अदालत का आदेश एकल न्यायाधीश के अंतरिम आदेश के खिलाफ सरकार की अपील पर आया। अपनी फिल्म ‘विश्वरूपम’ के प्रदर्शन पर रोक को लेकर अभिनेता-निर्माता कमल हासन ने भावुक होते हुए बुधवार को कहा कि कुछ मुस्लिम नेताओं के साथ बातचीत के दौरान इस विषय को आमसहमति से सुलझा लिया गया था जब उन्होंने पवित्र कुरान से जुड़े इस फिल्म के कुछ दृश्यों को हटाने पर सहमति जताई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह मुस्लिम विरोधी फिल्म नहीं है, यह मुस्लिम समर्थक फिल्म है। मुझमें और मुसलमान भाइयों में कोई अंतर नहीं है।’’ फिल्म के भविष्य को लेकर अदालत में मामला लंबित है, इसे देखते हुए रूंधे गले से हासन ने कहा कि तमिलनाडु सरकार नहीं चाहती कि वह राज्य में रहें और वह रहने के लिए देश या विदेश में किसी ‘धर्मनिरपेक्ष’ स्थान की तलाश कर सकते हैं।
बताया जा रहा है कि 100 करोड़ की अनुमानित राशि से बनी इस फिल्म के लिए अभिनेता ने अपनी पूरी संपत्ति दांव पर लगा दी। उन्होंने कहा कि फिल्म के प्रदर्शन में देरी की वजह से हुए नुकसान की वजह से वह अपना घर खो सकते हैं।
आज सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ए नवनीतकृष्णन ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने याचिका (कमल हासन की) पर आदेश इस बात पर विचार किए बिना दिया कि यह कानून के तहत स्वीकार करने योग्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीश ने इस महत्वपूर्ण विषय पर विचार नहीं किया कि इस संबंध में धारा 144 के तहत दिया गया आदेश कानून व्यवस्था, शांति और सम्प्रदायिक सौहार्द को ध्यान में रखते हुए दिया गया था।
थियेटर मालिकों के साथ हासन के विवाद के कारण प्रारंभ में फिल्म के प्रदर्शन पर संकट छा गए थे। इस फिल्म का प्रदर्शन 25 जनवरी को होना निर्धारित था।
रामनाथपुरम से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, नकाबपोश गिरोह ने दो थियेटरों में पेट्रोल बम और पत्थर फेंके और सीसे और फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया जबकि हासन के समर्थकों ने इरोड और थेनी में थियेटर के बाहर प्रदर्शन किया और फिल्म को प्रदर्शित करने की अनुममि देने की मांग की। दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि उच्च न्यायालय को इस मामले पर समग्रता सें विचार करना चाहिए।
इस मामले में महाविधवक्ता ने अदालत में कहा कि एकल न्यायाधीश ने सार्वजनिक शांति, सुरक्षा तथा कानून एवं व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन नहीं किया।
इससे पहले हासन ने कहा, ‘‘जब एमएफ हुसैन ऐसा कर सकते हैं, तब कमल हासन भी ऐसा कर सकता है। मैं थक गया हूं। इसके बाद मुझे रहने के लिए किसी धर्मनिरपेक्ष राज्य की तलाश करनी होगी। मुझे तमिलनाडु को छोड़कर कश्मीर से लेकर केरल तक धर्मनिरपेक्ष राज्य की तलाश करनी होगी। तमिलनाडु सरकार मुझे यहां नहीं देखना चाहती है।’’
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