नई दिल्ली:
दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने गुरुवार को इस धारणा को खारिज किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2-जी के 122 लाइसेंस रद्द करने का फैसला सरकार पर आक्षेप है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में दूरसंचार नियामक ट्राई की सिफारिशों के बाद आगे बढ़ेगी।
शीर्ष अदालत के फैसले के बाद संवाददाता सम्मेलन में सिब्बल ने कहा, ‘‘ सुप्रीम कोर्ट का फैसला न तो प्रधानमंत्री और न ही तत्कालीन वित्त मंत्री (पी चिदंबरम) के खिलाफ किसी तरह का आक्षेप है। यदि किसी तरह का आक्षेप बनता भी है, तो वह 2003 की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ‘पहले आओ पहले पाओ’ की नीति पर है। हम सिर्फ उसी पर आगे बढ़े।’’ उन्होंने कहा कि सरकार इस फैसले का पालन करेगी और स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी। सिब्बल ने कहा कि उनके मंत्री बनने के बाद मंत्रालय ने 2011 में स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से अलग कर दिया।
सिब्बल ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ने सिर्फ राजग सरकार की पहले आओ पहले पाओ की नीति का पालन किया। शीर्ष अदालत ने इस नीति को भेदभावपूर्ण करार दिया है। ऐसे में भाजपा को सरकार को भारी राजस्व का नुकसान पहुंचाने के लिए राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए। इस फैसले का नॉर्वे की टेलीनॉर या रूस की सिस्तेमा पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा कि कोई भी कंपनी राहत के लिए अदालत जा सकती है। इन दोनों कंपनियों ने देश में सेवाएं शुरू करने पर भारी निवेश किया है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में जारी असमंजस दूर हो गया और स्थिति साफ हो गई है। इससे इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। सिब्बल ने जहां राजग की 2003 की नीति को दोषी बताया, वहीं इसे लागू करने में हुई अनियमितताओं को ठीकरा तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा पर फोड़ा।
दूरसंचार मंत्री ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने साफ कहा है कि तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्रालय की अच्छी सलाह को नजरअंदाज किया।’’ सिब्बल ने कहा कि इस नीति को लागू करने में समस्या थी। ‘‘यही वजह है कि आज राजा वहां हैं।’’ एक सवाल के जवाब में हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वह संप्रग की सहयोगी द्रमुक पर दोष नहीं मढ़ रहे हैं। ‘‘द्रमुक हमारी मूल्यवान सहयोगी है और आगे भी बनी रहेगी।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या चिदंबरम घोटाले को न रोकने के दोषी नहीं हैं, उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें कैसे दोषी ठहराया जा सकता है, जब उनके पास यह जानने का समय ही नहीं था कि कुछ गलत हो रहा है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या इस फैसले से पहले आओ पहले पाओ की नीति प्रभावित होगी, मंत्री ने कहा कि ऐसा हो सकता है। यह नीति खनन जैसे क्षेत्रों में भी लागू है। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार अन्य क्षेत्रों में नीति में बदलाव का प्रयास नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि यह एक नई शुरुआत है और इससे देश में अधिक निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा। अनिश्चितताओं की वजह से पिछले एक साल में इस क्षेत्र में निवेश प्रभावित हुआ है।
सरकार को हुए नुकसान के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा, ‘‘यदि नीति सही हो तो किसी तरह के नुकसान का सवाल नहीं उठता। यदि नीति में गड़बड़ी है, तो आपको अक्तूबर, 2003 से नुकसान का आकलन करना होगा, जिस समय यह नीति लागू हुई थी।’’ उच्चतम न्यायालय के फैसले से सरकार ने क्या सबक सीखा, इस बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा, ‘‘कोई भी मंत्री काम कर रहा हो, उसे सभी से सलाह करनी चाहिए और किसी तरह की अनियमितता नहीं बरतनी चाहिए।’’
शीर्ष अदालत के फैसले के बाद संवाददाता सम्मेलन में सिब्बल ने कहा, ‘‘ सुप्रीम कोर्ट का फैसला न तो प्रधानमंत्री और न ही तत्कालीन वित्त मंत्री (पी चिदंबरम) के खिलाफ किसी तरह का आक्षेप है। यदि किसी तरह का आक्षेप बनता भी है, तो वह 2003 की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ‘पहले आओ पहले पाओ’ की नीति पर है। हम सिर्फ उसी पर आगे बढ़े।’’ उन्होंने कहा कि सरकार इस फैसले का पालन करेगी और स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी। सिब्बल ने कहा कि उनके मंत्री बनने के बाद मंत्रालय ने 2011 में स्पेक्ट्रम को लाइसेंस से अलग कर दिया।
सिब्बल ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) ने सिर्फ राजग सरकार की पहले आओ पहले पाओ की नीति का पालन किया। शीर्ष अदालत ने इस नीति को भेदभावपूर्ण करार दिया है। ऐसे में भाजपा को सरकार को भारी राजस्व का नुकसान पहुंचाने के लिए राष्ट्र से माफी मांगनी चाहिए। इस फैसले का नॉर्वे की टेलीनॉर या रूस की सिस्तेमा पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा कि कोई भी कंपनी राहत के लिए अदालत जा सकती है। इन दोनों कंपनियों ने देश में सेवाएं शुरू करने पर भारी निवेश किया है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में जारी असमंजस दूर हो गया और स्थिति साफ हो गई है। इससे इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। सिब्बल ने जहां राजग की 2003 की नीति को दोषी बताया, वहीं इसे लागू करने में हुई अनियमितताओं को ठीकरा तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा पर फोड़ा।
दूरसंचार मंत्री ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने साफ कहा है कि तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्रालय की अच्छी सलाह को नजरअंदाज किया।’’ सिब्बल ने कहा कि इस नीति को लागू करने में समस्या थी। ‘‘यही वजह है कि आज राजा वहां हैं।’’ एक सवाल के जवाब में हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वह संप्रग की सहयोगी द्रमुक पर दोष नहीं मढ़ रहे हैं। ‘‘द्रमुक हमारी मूल्यवान सहयोगी है और आगे भी बनी रहेगी।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या चिदंबरम घोटाले को न रोकने के दोषी नहीं हैं, उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें कैसे दोषी ठहराया जा सकता है, जब उनके पास यह जानने का समय ही नहीं था कि कुछ गलत हो रहा है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या इस फैसले से पहले आओ पहले पाओ की नीति प्रभावित होगी, मंत्री ने कहा कि ऐसा हो सकता है। यह नीति खनन जैसे क्षेत्रों में भी लागू है। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार अन्य क्षेत्रों में नीति में बदलाव का प्रयास नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि यह एक नई शुरुआत है और इससे देश में अधिक निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा। अनिश्चितताओं की वजह से पिछले एक साल में इस क्षेत्र में निवेश प्रभावित हुआ है।
सरकार को हुए नुकसान के बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा, ‘‘यदि नीति सही हो तो किसी तरह के नुकसान का सवाल नहीं उठता। यदि नीति में गड़बड़ी है, तो आपको अक्तूबर, 2003 से नुकसान का आकलन करना होगा, जिस समय यह नीति लागू हुई थी।’’ उच्चतम न्यायालय के फैसले से सरकार ने क्या सबक सीखा, इस बारे में पूछे जाने पर सिब्बल ने कहा, ‘‘कोई भी मंत्री काम कर रहा हो, उसे सभी से सलाह करनी चाहिए और किसी तरह की अनियमितता नहीं बरतनी चाहिए।’’
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