मध्‍यप्रदेश में पीएम आवास योजना की हकीकत, कच्‍चे मकानों के लिए भी ली गई रिश्‍वत...

देश में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर दावे तो बहुत हो रहे हैं लेकिन हकीकत की एक तस्वीर मध्यप्रदेश में डिंडौरी जिले के बैगा आदिवासी बाहुल्य गौरा कन्हारी गांव से आई है जहां प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर एक दो नहीं बल्कि एक दर्ज़न से अधिक कच्चे और झोपड़ीनुमा मकान बना दिए गए हैं.

मध्‍यप्रदेश में पीएम आवास योजना की हकीकत, कच्‍चे मकानों के लिए भी ली गई रिश्‍वत...

मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण के तहत कुल लक्ष्य 32,27,131 घरों का है

भोपाल:

देश में प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर दावे तो बहुत हो रहे हैं लेकिन हकीकत की एक तस्वीर मध्यप्रदेश में डिंडौरी जिले के बैगा आदिवासी बाहुल्य गौरा कन्हारी गांव से आई है जहां प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर एक दो नहीं बल्कि एक दर्ज़न से अधिक कच्चे और झोपड़ीनुमा मकान बना दिए गए हैं. यही नहीं गरीब हितग्राही रिश्वत देने का रेट भी बता रहे हैं.

कुछ दिनों पहले रीवा से बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा ने कहा था, 'मोदीजी एक बार अपनी दाढ़ी को फटकारते हैं तो 50 लाख घर निकलते हैं. दोबारा दाढ़ी फटकारते हैं तो 1 करोड़ घर निकलते हैं.'

वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उपचुनावों के प्रचार के दौरान कहा था कोई गरीब घर से वंचित नहीं रहेगा यहां डबल इंजन की सरकार है. लेकिन गौरा कन्हारी के छोटेलाल बैगा कहते हैं घर बनाने के लिये कथित तौर पर उनसे सचिव ने 5000 रु., एक किश्त फिर निकला तो 5000 रु. सरपंच ने, फिर सचिव 3000 रु., जंगल विभाग 1000 रु. ...इसके बाद सचिव ने मुर्गा भी ले लिया, बोला सीईओ साहब को देना है.

बीजेपी सांसद प्रधानमंत्री जी की दाढ़ी से घर निकालते हैं, मुख्यमंत्री कहते हैं कोई गरीब घर से वंचित नहीं रहेगा लेकिन छोटेलाल ने अपने कच्चे घर का रेटकार्ड सुना दिया. छत के नाम पर बल्लियों के सहारे खप्पर बिछाये गए हैं. कुछ मकानों में सीमेंट और कांक्रीट की जगह पर मिट्टी का उपयोग किया गया है. इस मकान में छत के नाम सिर्फ घासफूस और पत्ते हैं. डिंडौरी जिले के गौरा कन्हारी में पक्का मकान की योजना हकीकत में कच्चे में तब्दील हो गई, छत भी कच्चा, फर्श भी कच्चा.. वो भी रिश्वत और मुर्गे वगैरह की भेंट के बाद.

छोटेलाल बैगा कहते हैं, 'मैंने तो कहा पक्का बनवा, लेकिन उन्होंने कहा मटेरियल नहीं आ रहा है.' वहीं बुध सिंह कहते हैं, पक्का तो बनना था लेकिन रेता नहीं मिला, पैसा नहीं मिला, जियो टैगिंग दूसरे आवास से कर दिया.

हितग्राही बता रहे हैं कैसे जियो टैगिंग दूसरे आवास से कर दी गई लेकिन तहसीलदार साहब ने किताबों में जांच की बात पढ़ी है सो कैमरे के सामने वही घिसा पिटा बयान दे दिया. तहसीलदार गिरीश धुलेकर कहते हैं, 'कच्चे मकान का तो प्रावधान ही नहीं है, इसमें ये जरूर है कि कवेलू का प्रावधान है लेकिन दीवार पक्की होनी चाहिये. रिश्वत से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा ये जांच का विषय है इसकी जांच कराई जाएगी.'

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मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण के तहत कुल लक्ष्य 32,27,131 घरों का है, स्वीकृति मिली है 26,26,943 यानी 81.4% को. अभी तक निर्माण हुआ है 19,37,812 यानी 60.05% घरों का. वहीं प्रधानमंत्री आवास शहरी में कुल स्वीकृति है 8,53,075 घरों की. निर्माण हुआ है 4,51,334 यानी 52.9% घरों का. 4 लाख मकानों के लिये राज्य सरकार ने अभी अपना अंशदान भी नहीं दिया, इस वजह से केन्द्र ने 640 करोड़ की राशि भी रोक ली है.