कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी सहयोगी कहलाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया महीनों की कोशिश के बावजूद उनसे मिलने में सक्षम नहीं थे. यह बात एनडीटीवी को शाही परिवार से आने वाले एक नेता प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा, जिनका सिंधिया परिवार के साथ जुड़ाव भी है, ने बताया. मध्य प्रदेश के पूर्व सांसद व 49 वर्षीय नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा इस्तीफे के बाद कांग्रेस द्वारा निष्कासित कर दिया गया. कहा जा रहा है कि वह इस सप्ताह के अंत तक भाजपा में शामिल हो सकते हैं. कुछ ही महीने पहले पार्टी से दूरी बनाने वाले त्रिपुरा कांग्रेस प्रमुख रहे प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा ने कहा, ''मुझे पता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया महीनों से राहुल गांधी से मिलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हे कोई अप्वाइंटमेंट नहीं मिला. अगर वह (राहुल गांधी) हमें नहीं सुनना चाहते थे, तो उन्होंने हमें पार्टी में क्यों लाया?”
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सिंधिया के करीबी माने जाने वाले देबबर्मा ने फेसबुक पोस्ट में मंगलवार को लिखा, "मैंने देर रात ज्योतिरादित्य सिंधिया से बात की और उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने इंतजार किया और इंतजार करते रहे, लेकिन उनके द्वारा 'हमारे' नेता को कोई भी अप्वाइंटमेंट नहीं मिली.''
उन्होंने अपने पोस्ट में आगे लिखा, "जब मैंने त्रिपुरा में कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दे दिया था, तो मैंने कहा था कि युवा नेता 'अनाथ' महसूस करते हैं और राहुल गांधी द्वारा पार्टी अध्यक्ष के रूप में अचानक छोड़ने के बाद हमें बीच मझधार में छोड़ दिया गया. अचानक हमारे विचारों को दरकिनार कर दिया गया. 'स्टालवार्ट्स' ने प्रमुख मुद्दों पर हमारी नीतियों की अवहेलना शुरू कर दी थी.''
लोकसभा में कांग्रेस की बुरी तरह हार के बाद राहुल गांधी ने पिछले साल पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था. वर्तमान स्थिति के बारे में बात करते हुए प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा ने एनडीटीवी से कहा, "यह डिबेट इसलिए देखा गया, जब पुराने समूह द्वारा कलह नजर आई. जब हमारा नेता हमें नहीं सुन रहा है और पुराने लोग एक-एक करके जाने का फैसला कर रहे हैं, तो यह समय है कि आगे बढ़ जाओ.''
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बता दें कि ज्योतिरादित्य सिधिया ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया है. उनके मंगलवार को बीजेपी में शामिल होने के क़यास लगाए जा रहे थे. लेकिन बाद में ख़बर आई कि सिंधिया आज बीजेपी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं. 12 मार्च को वो बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. इन सबके बीच कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल हैं क्योंकि सरकार के साथ रहे 21 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया है. माना जा रहा है कि इनमें ज़्यादातर ज्योतिरादित्य सिंधिया के क़रीबी हैं.
दिल्ली से भोपाल तक बैठकों का भी दौर है. दिल्ली में बीजेपी चुनाव समिति की बैठक हुई, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा शामिल हुए. चुनाव समिति की बैठक ख़त्म हो चुकी है. होली के दिन बगावत की शुरुआत सुबह साढ़े 10 बजे के आसपास हुई जब वो अमित शाह के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिये गए. दोनों अमित शाह की गाड़ी में साथ दिखे. सिंधिया ने अपने इस्तीफ़े को जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वो कांग्रेस में रहकर अपने प्रदेश और देश की सेवा नहीं कर सकते हैं.
कुछ देर बाद ही कांग्रेस की प्रमुख सोनिया गांधी ने सिंधिया को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निकाल दिया. सारा विवाद मध्य प्रदेश की राज्यसभा सीट को लेकर बढ़ा. कांग्रेस की एक सीट पर तो जीत एकदम पक्की है लेकिन दूसरी के लिए उसे बाहर के 2 विधायकों की ज़रूरत थी. कहा जा रहा है कि सिंधिया वो सीट चाहते थे जो एकदम पक्की है और जिसे दिग्विजय सिंह के लिये रखा गया है.
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