यह ख़बर 05 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

जस्टिस गांगुली मानवाधिकार आयोग का पद छोड़ें : तृणमूल

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को सेवानिवृत्त न्यायाधीश एके गांगुली से राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की अपील की। गांगुली विधि विषय में इंटर्नशिप करने वाली एक युवती का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी हैं। सत्तारूढ़ पार्टी का कहना है कि उसने 'जनता की मांग पर' गांगुली से यह अपील की है।

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश गांगुली का हालांकि कहना है कि उन पर लगाया गया आरोप 'पूरी तरह निराधार और झूठा' है।

तृणमूल सांसद डेरेक ओ'ब्रीन ने एक बयान में कहा, 'तूणमूल सेवानिवृत्त न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगने से चिंतित है। उन पर लगा आरोप सही हो या गलत, लेकिन जनता के बीच जो धारणा बनी है, उसको देखते हुए गांगुली का आयोग के अध्यक्ष पद पर बने रहने का जनता में गलत संदेश जाएगा।'

तृणमूल कांग्रेस चूंकि यह घोषणा कर चुकी है कि कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा के मामले में बेहद सख्त रुख अपनाएगी, ओ'ब्रीन ने कहा, 'जनसेवा के क्षेत्र में वरिष्ठ पद पर काबिज लोगों को महिला सहकर्मियों के साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए जिससे उनकी छवि आदर्श व्यक्ति की बन सके।'

उन्होंने कहा, 'न्याय में पूर्ण आस्था रखने वाले न्यायमूर्ति गांगुली को पद छोड़ देना चाहिए ताकि उस पद की पवित्रता अक्षुण्ण रहे, जिस पर वह इस समय कबिज हैं।'

उल्लेखनीय है कि तृणमूल सरकार और राज्य मानावाधिकार आयोग के प्रमुख के बीच बेहतर संबंध नहीं रहे हैं। गांगुली अपने कई आदेशों के जरिये मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को शर्मिंदा कर चुके हैं।

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न्यायमूर्ति गांगुली ने हालांकि ओ'ब्रीन के बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में कानून का सहारा लेने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि उन पर लगा आरोप निराधार और असत्य है।